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Addressing Modes in Computer Architecture in Hindi

Author: admin | On:19th Nov, 2020| Comments: 0

Definition of Addressing modes in Computer Architecture in Hindi:- एड्रेसिंग मोड उन नियमों को निर्दिष्ट करता है, जिनके उपयोग से User द्वारा दिए जाने वाले Instruction (निर्देश), कंप्यूटर के प्राइमरी मेमोरी मतलब की RAM में जमा Data को Access करता है।

Addressing modes की परिभाषा को ठीक से समझने के लिए Instruction (निर्देश) को समझना जरूरी है। User द्वारा किसी input device जैसे की keyword, Mouse आदि के उपयोग से computer को दिया जाने वाला निर्देश दो भाग में विभाजित होता है, operand (ऑपरेंड) और opcode (ऑप-कोड).




addressing modes in hindi
Addressing Modes in Hindi

Opcode उस काम के बारे में बताता है जिसे निर्देश को पूरा करना है। ये काम जोड़ना, घटाना, गुणा करना आदि हो सकता है और Opcode जिस data पर काम करता है उसकी जानकारी Operand में होती है। एड्रेसिंग मोड Operand को मेमोरी में जमा data तक पहुँचता है।

Importance of Addressing modes in Hindi:-

  • एड्रेसिंग मोड्स प्रोग्रामर को जरुरत के अनुसार डेटा एक्सेस करने की सुविधा प्रदान करता है, ये program के कोड डिज़ाइन की प्रक्रिया को सरल बनाता है।
  • इसके कारण instruction के Operand में बिट्स की संख्या कम हो जाती है, और गति तेज हो जाती है।




Contents hide
1 Type of Addressing modes in Hindi
1.1 Need of addressing mode in Hindi

Type of Addressing modes in Hindi

Type of Addressing modes in Hindi:- विभिन्न प्रकार कंप्यूटर आर्किटेक्चर में अलग-अलग एड्रेसिंग मोड का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए Reduced Instruction Set Computer या RISC आर्किटेक्चर में केवल पांच प्रकार के एड्रेसिंग मोड होते हैं जबकि CISC आर्किटेक्चर एक दर्जन से अधिक एड्रेसिंग मोड होते हैं। कुछ प्रमुख Addressing modes के नाम और उनके उपयोग निम्नलिखित रूप से हैं :-

  1. Immediate mode:- इसमें निर्देश के ऑपरेंड वाले भाग में data का एड्रेस न होकर मुख्य डेटा को ही जमा रखा जाता है। इसकी एक समस्या ये है की अगर ऑपरेंड का आकार छोटा हो तो इसमें ज्यादा data को जमा नहीं किया जा सकता है।
  2. Register Direct mode:- इसमें Operand सीपीयू के register में मौजूद होता है, और instruction में Opcode के साथ register का address होता है। इसके Advantages यह है की इसमें निर्देशों को डेटा CPU में मिल जाता है इसलिए इन्हें access करने के लिए कोई यात्रा नहीं करना पड़ता है, जिससे निर्देशों का निष्पादन बहुत तेज़ी से होता है।
  3. Register Indirect Mode:- इसके ऑपरेंड में उस रजिस्टर का एड्रेस होता है, जो मेमोरी में जमा डेटा का एड्रेस बताती है। मतलब की ऑपरेंड में रजिस्टर का एड्रेस और रजिस्टर में data का एड्रेस होता है।
  4. Autoincrement /Autodecrement Mode :- ये Register Indirect Mode का एक special case है इसमें ऑपरेंड में जमा रजिस्टर का एड्रेस उपयोग के बाद अपने आप increase / decrease हो जाता है।
  5. Direct Addressing Mode:- इसका operand कंप्यूटर के मेमोरी में जमा होता है और निर्देश में ऑपरेंड का location होता है। मतलब की निर्देश सीधे ऑपरेंड को access कर लेता है।
  6. Indirect Addressing Mode :- इसमें निर्देश सीधे ऑपरेंड को access न करके उसके reference address को एक्सेस करता है, मतलब की उस मेमोरी लोकेशन को एक्सेस करता है जहाँ मुख्य ऑपरेंड का एड्रेस जमा है। हालाँकि यह निष्पादन की गति को धीमा कर देता है।
  7. Index addressing mode:- इसमें instruction तीन भागों में बटा होता है opcode, इंडेक्स रजिस्टर और address field. इंडेक्स रजिस्टर और address field को जोड़ने के बाद ऑपरेंड का पता मिलता है।
  8. Displacement Mode:- ये इंटेक्स मोड की तरह ही होता है, लेकिन इसमें इंडेक्स रजिस्टर की जगह Base Register होता है। बेस रजिस्टर में एक ऐसे मेमोरी लोकेशन का एड्रेस होता है जिसके साथ अगर instruction के address field को जोड़े तो ऑपरेंड का address मिलेगा।




Need of addressing mode in Hindi

  • किसी प्रोग्राम के निष्पादन के समय मेमोरी में जमा डाटा को कोई निर्देश किस प्रकार से प्राप्त करेगा यह पूरी तरह से एड्रेसिंग मोड पर निर्भर करता है ।
  • यह किसी instruction के execution को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके बिना कंप्यूटर किसी भी उपयोगकर्ता द्वारा दिए गए input का निष्पादन नहीं कर पायेगा क्योंकि इनपुट को निष्पादित करने के लिए जिन जानकारियों की जरुरत होती है वह कंप्यूटर के मेमोरी डिवाइस और register में संग्रहित होता है और एड्रेसिंग मोड के मदद से ही CPU (Central processing unit / सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट) को यह पता चलता है की उन निष्पादन के लिए आवश्यक जानकारियों को कैसे access करना है।
  • विभिन्न प्रकार के एड्रेसिंग मोड्स कंप्यूटर प्रोग्रामर और सॉफ्टवेयर इंजीनियर को कोड डिज़ाइन करते समय बहुत अधिक flexibility प्रदान करता है, जिनसे वह कुशलता से अपने काम को पूरा कर पाता है।

 

Summery on Addressing Modes in Computer Architecture in Hindi:- एड्रेसिंग मोड कंप्यूटर को यह बताता है कि किसी instruction को निष्पादित करने के लिए जिन चीजों की जरुरत होती है जैसे की Opcode और operands,  ये  उन्हें कैसे मिलेगा। इसके साथ ही “एड्रेसिंग मोड” यह भी बताता है की ऑपरेंड्स का डेटा जिस स्थान पर संग्रहित है उन स्थानों को किस प्रकार से संचालित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही एड्रेसिंग मोड यह भी बताता है कि जब किसी निर्देश का निष्पादन पूरा हो जाएगा तो उसके परिणाम स्वरूप जो जानकारियाँ पैदा होंगे उन्हें किस  मेमोरी लोकेशन जैसे की मेमोरी डिवाइस या रजिस्टर में संग्रहित किया जाएगा, अर्थात अगर हम साधारण शब्दों में कहें तो एड्रेसिंग मोड निर्देश के निष्पादन के लिए आवश्यक जानकारियों को मेमोरी और रजिस्टर से प्राप्त करने एवं निर्देश के निष्पादन के पश्चात जानकारियों को मेमोरी या रजिस्टर में  संग्रहित करने के लिए जिम्मेदार होता है।

जैसा कि आप सभी जानते हैं किसी भी कंप्यूटर का मुख्य कार्य होता है उपयोगकर्ता द्वारा दिए जाने वाले इनपुट का निष्पादन करके उनके समक्ष सही आउटपुट को प्रदर्शित करना। इसी कार्य को करने में Addressing Modes एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है एवं अर्थात यह कंप्यूटर की मौलिक कार्यप्रणाली को पूरा करने में मददगार प्रक्रिया है।

इस लेख में हमने कंप्यूटर आर्किटेक्चर के एड्रेसिंग मोड को सरल हिंदी भाषा में समझाने का प्रयास किया है। उम्मीद है कि Addressing modes in Hindi का यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आप एड्रेसिंग मोड पर लिखे गए इस लेख से संबंधित कोई सुझाव हमें देना चाहते हैं या कोई प्रश्न पूछना चाहते है, तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताएं।

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