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Website/Blog कैसे बनाये? | Website Kaise Banaye | 20 मिनिट में

Author: admin | On:1st Dec, 2020 | 1312 View

Website/Blog कैसे बनाये? | Website Kaise Banaye | 20 मिनिट में

दोस्तों अगर आप अपनी खुद की website बनाकर कोई बिजनेस स्टार्ट करना चाहते हैं या online पैसे कमाना चाहते हैं, तो इस लेख को जरूर पढ़ने क्योंकि “Apni website kaise banaye” – इस Hindi लेख में हम ने बताया है, कि आप अपने mobile या computer का उपयोग करके बहुत ही आसानी से अपने लिए एक Blog या वेबसाइट कैसे बना सकते हैं , इसके साथ ही वेबसाइट बनाने में उपयोग होने वाले विभिन्न सामग्री जैसे की domain name और web hosting से संबंधित जानकारी भी यहाँ दी गई है। इसके साथ ही इस आर्टिकल को पढ़कर आप यह अच्छी तरह से समझ जाएंगे कि आप जिस पर Site का निर्माण करना चाहते हैं उसके निर्माण और प्रबंधन में कुल कितना खर्च आने वाला है।




Blog Kaise Banaye | Website Kaise Banaye: दोस्तों अपना खुद का ब्लॉग या वेबसाइट बनाना (website banana) बहुत ही आसान काम है लेकिन पहली बार इस काम को करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है इसलिए जब आप पहली बार अपनी वेबसाइट बनाते हैं तो आपको कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

अगर आप पहली बार इस Blogging Field पे आये हो तो आपको बोहोत ही Problem को Face करना परता है, इसलिए Apni website kaise banaye in Hindi (अपनी वेबसाइट कैसे बनाएं इन हिंदी) के इस लेख में हमने वेबसाइट बनाने से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियों को बहुत ही आसान तरीके से समझाने का प्रयास किया है, कोई भी इंसान जो इस लेख को एक बार पढ़ लेगा,  वह बहुत ही आसानी से अपने लिए ब्लॉग या वेबसाइट बना पाएगा ।

So आप इस Article को Last तक जरूर पढ़े ।

आप ब्लॉग्गिंग क्यों करना सहते है (Why are You Starting a Blog?)

ब्लॉग्गिंग करने से पहले आप ये Clear कीजिये की आप Blogging क्यों करना सहते है?

क्या आप लिखना पसंद करते है? क्या आपके पास किसी बिसय के ऊपर अत्छा Knowledge है? या फिर आप लोगो को कुस Sell करना सहते है? या फिर कुस और.

आपका ब्लॉग्गिंग करने का मकसद Clear होना बोहोत ही जरुरी है.

ब्लॉग्गिंग करने का बोहोत सारे Reasons है जैसे की:

  • Writing और Thinking Skill को बढ़ाने के लिए.
  • विशेषज्ञता स्थापित करने के लिए
  • आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए
  • Industry में दूसरों के साथ Network करने के लिए
  • पैसे कमाने के लिए

ऐसे ही बोहोत सारे Reasons है जिसके लिए Bloging करते है. पर देखा जाये तो बोहोत लोग Knowledge, Skill और Learning को ध्यान नहीं रखते है और पैसे के ज्यादा Focus करते है.




So, आप अगर Blogging Field पे नई भी हो तो आप Learning पे ज्यादा Focus कीयिये, सही बक्त पे आप ब्लॉग्गिंग से पैसे भी कमा पाएंगे।

ब्लॉग क्या है (What is Blog):

ब्लॉग एक Website होते है. जाहा पर आप अपने बीसार या किसी भी Topic के जानकारी को Internet पे ब्लॉग के माध्यम से लोगो तो पोहसाते है.

पुराने ज़माने में लोग अपने Diary या News Paper के माध्यम से अपने बीसार या किसी भी जानकारी को लोगो तक पोहसाते थे.

उसी तरह से आज कल लोग ब्लॉग के जरिये अपने Daily Life और अपने Knowledge को लोगो के साथ Share करते है.

ब्लॉग को इंटरनेट पर लेखा जाता है इसलिए ब्लॉग को Web Log भी कहा जाता है. ब्लॉग्गिंग के कोई प्रकार के Sites है जहा पर आप अपने लेखा को प्रस्तुत करते है जैसे की Blogger.com, WordPress.com, Tumbler.com and Wix.com.

बोहोत लोगो का Question रहता है की Blogger और Blogging में अन्तर क्या है? सलिये हम बताते है-

Blog: ब्लॉग एक Diary होता है. 

Blogging: ब्लॉग लिखने के गति बिधि को हम ब्लॉग्गिंग कहते है.

Blogger: जो ब्यक्ति ब्लॉग लिखते है उसको हम ब्लॉगर कहते है.

सलिये अब हम जान लेते है के ब्लॉग कितने प्रकार के होते है.

दोस्तों, ब्लॉग Basically ३ Types के होते है.

  1. Personal Blog.
  2. Niche Blog.
  3. Company Blog.

दोस्तों अगर आपको ब्लॉग क्या है? (What is Blogging in Hindi) इसके बारे जानना सहते है तो निसे दिए गए लिंक पर Click करे.

  • ब्लॉग क्या है? What is Blogging IN Hindi?- हिंदी में

 


सिर्फ 7 स्टेप्स में Website Kaise Banaye (How To Start A Blog in Just 5 Steps):

  • STEP 1: दोस्तों, सबसे पहले आप एक Topic या Niche को Find करे जिसपे आप ब्लॉग लिखेंगे.
  • STEP 2: अपने ब्लॉग का एक अच्छा नाम Choose करे.
  • STEP 3: अपने ब्लॉग का नाम Online Register करे and Hosting Buy करे. 
  • STEP 4: आपने ब्लॉग को Customize करे (Theme Design & Development). 
  • STEP 5: आपने First ब्लॉग Post को Write करे और Published करे.
  • STEP 6: अपने ब्लॉग को Promote करें.
  • STEP 7: आपने ब्लॉग को Monitize करे.

STEP #1: आप एक Topic या Niche को Find करे और तय करें कि आप अपने ब्लॉग पर क्या बात करेंगे

दोस्तों Blog बनाने के लिए सबसे पहले आपको एक Niche Select करना पड़ेगा. Blog का Niche ही आपको एक Successful Blog के साथ एक Popular Blogger बना सकते है.

Wait, Wait ,क्या आप जानते है Niche क्या है?

Blog का Niche एक Category के Topics है जिसके बारे में आप अपने Blog पे बात करेंगे.

Blog Start करने से पहले सबसे पहला काम आपको एक अत्छा सा Niche Select करना होगा जिसके बारे में आप अपने ब्लॉग पर लिखेंगे.

जब भी लोग Blog Start करते है तो सबसे पहले यही गलती करते है की वो Niche तो Select कर लेते है लेकिन Traffic नहीं आने के बजह से दूसरे Topics भी ब्लॉग पे लिखने लगते है.

आपको बिलकुल भी ऐसा नहीं करना है.

अगर आपको Online Paise Kaise Kamaye के बारे में लिख सकते है तो आप Make Money online पर ही Blog लिखे. ना की आप उसी Blog पे Health और Entertainment के बारे में लिखेंगे.

Blog के Topics Choose करना आपके Interest पे Depend करता है. यानि के आप कोनसी बिसय के बारे में लोगो के साथ ज्यादा बात करते है या आप कोनसे बिसय में बात करके या लेख के Bore नै होते उसको सबसे पहले देखिए.

अगर आप उस बिसय को लेके 24 Hours काम कर सकते है तो वही आपका Perfect Blogging Niche है.
.
सभी New Bloggers यही गलती करते है की वो दुसरो की Success को देखके खुद Blog Start करते है और चोसते है के हम भी Success हो सकते है लेकिन ऐसा नहीं होता है .

आप आपके Interest के हिसाब से Blog कीजिये न की दुसरो की Interest को लेके.

Blogging के कुस  Profitable Niches:

 

  • How to Make Money.
  • Personal Finance.
  • Health and Fitness.
  • Beauty and Fashion.
  • Lifestyle.
  • Personal Development.

 

इनमे से किसी भी Niche पे आपका Interest है तो आप इसी Niche पे Blog Start कर सकते है

  • Niche Blogging क्या है: Niche Vs Multi-Niche Blogging


STEP #2: अपने ब्लॉग का एक अच्छा नाम Choose करे.

दोस्तों आपने Blog या Website Start करने से पहले आपको आपने Domain Name Select करना बोहोत हे जरुरी है. क्युकी आपके Domain Name ही आपका ब्लॉग का पहशन होगा।

सबसे पहले आप Decide करे की आपको डोमेन बाद में Brand बनायेगे, या आप किसी Specific Niche के ऊपर ब्लॉग बनायेगे या फिर आप Micro Niche पे ब्लॉग बनाना साहते है.

आपको अगर आपके ब्लॉग को Brand बनाना हे तो आपके Product या Services के हिसाब से आप आपने ब्लॉग का नाम रखिये।

आप इसका भी ध्यान रखे की आपका Blog Name पे किसी और Brand(Like Amazon, Flipkart) का नाम ना ज़ुरा हो.

अगर आप किसी और का Brand Name आपणे डोमेन पे Use करते हो तो बाद मई आपको Copyright Claim भी आह सकता है.

अगर आप किसी Specific Niche के उपर ब्लॉग बनाना सहते है तो आपको डोमेन जितना Short हो उतना अत्छा है.

Also Read: What is Domain in Hindi (Full Guide)

For Example:

अगर आपका ब्लॉग Laptop के ऊपर है तो आप पहले आपका Niche का नाम और उसके बाद आप अपने हिसाब से कुस नाम जुड़ सकते है. Like: ” Laptop + Geek=Laptopgeek”

अगर आप किसी Micro Niche पर ब्लॉग बना रहे तो तो आप अपने Domain Name के पहले “Best” और “Top” जैसे Word का Use कर सकते हो. Like: “Best + Laptop+ Under 20000=Bestlaptopunder20000”

उसके बाद सबसे Important बात आता है की आपका Domain Extension।

बोहोत लोग Confuse करते है की आपको .com लेना है या .in या फेर कोई और So इसका Answer ये है की आप आपने ब्लॉग को कोनसी Country को Target करके लेखोगे।

अगर आपका Audience India का है तो आप .in का Use करे और अगर आप सहते हे की आपके ब्लॉग पे Word wide से लोग पढ़ेंगे तो आप .com डोमेन पे जाये।

बाकि आप.net और .org जैसे Domain को भी Use कर सकते है.

आपको Country Specific Domain लेंना है ताकि आपका SEO मई भी Improvement हो.

I Hope आप आपको Domain Selection के बारे में Detail में जानकारी मिल गए होंगे 

STEP 3: अपने ब्लॉग का नाम Online Register करे and Hosting Buy करे. 

दोस्तों हमारा 3rd Step बोहोत ही Important है. अगर आप Domain Selection के बाद Hosting गलत Choose कर लिए और आपने काम पैसे के सक्कर में किसी चीप और एक फालतू Hosting Company के साथ ब्लॉग Set Up कर लिए तो आपका पूरा ब्लॉग Unsuccessful यानि बर्बाद हो सकता है.

हम आपको Step By Step Guide करेंगे So आप लास्ट तक हमारे साथ ही जुड़े रहिये:

में आपको Recommend करूँगा की आप Siteground.com Hosting के साथ ही जाये क्युकी ये सिर्फ मेरा ही Suggestion नहीं है Blogging या Affiliate Industry पे जो भी महारथी है वो इसी Hosting को Recommend karte ha करते है.

दूसरा आप Godaddy.com, Namecheap.com से भी Domain को Purchase कर सकते है पर हम आज इस आर्टिकल पे Siteground से ही Domain और Hosting को Stepup करके देखयंगे.

Also Read: What Is web Hosting In Hindi (Full Guide)

दोस्तों मई आपको Siteground Hosting इसलिए Recommend कर रहा हु ताकि आपको Siteground पे जितना अत्छा Features मिलता है वो और किसी होस्टिंग पे देखने को नहीं मिलता है जैसे की:

  • Free SSL
  • Unlimited Databases
  • Daily Backup
  • Free CDN
  • Free Email
  • WP-CLI and SSH
  • 100% renewable energy match

So, सबसे पहले आप Siteground.com पर विजिट करे और आपने बजट की हिसाब से आप होस्टिंग को Select करे.

में आपको Recommend करता हु की आप As a Newbie “वेब होस्टिंग(Web Hosting)” के साथ ही जाये.

उसके बाद आप आपने Domain को Add कीजिये। अगर आपने पहले से ही Domain लेके रखा है तो आप “I already have a Domain” पे क्लिक करके डोमेन को Domain करे.

 

उसके बाद आप अपना Name, Address और Payment Details Put करे और इस्पे आपको ये ध्यान देना ही की अगर आप India से है और आपका Traffic ज्यादा से ज्यादा India से  है तो आपको Data Center ” Singapore” कर लेना है. और Simply ” Pay Now” पर Click कर देना है.

Also Read: 15 Black Friday Hosting Deals 2020

Finally आपका Hosting Buy हो गया ||

STEP 4: आपने ब्लॉग को Customize करे (Theme Design & Development). 

ब्लॉग को Set Up करने से पहले आपका सबसे पहला काम होगा आपको Cpanel पे जाके “WordPress” को Install करना है.

 

WordPress Installation के बाद आपको अपने ब्लॉग पे Theme Install करना है.

आपके Site पे एक अत्छा Theme लगाना बोहोत ही जरुरी है. और आपका Theme जीना Fast Load करेगा उतना ही आप के Site का Ranking भी Increase होगा।

मई आपको Recommend करूँगा की अगर आप थोड़ा से पैसा Invest कर सकते हो तो एक अत्छा Theme जरूर बुय करे.

Expert Recommend करता है GeneratePress Theme को. So में भी आपको GeneratePress Theme Use करने को recommend करता हु.

अगर आप बिलकुल भी नई हो तो आप Theme के साथ भी Blog Start कर सकते हो.

GeneratePress का Free Version भी आता है आप उसे भी Use कर सकते हो.

इसके लिए आपको WordPress Deshboard->Appearance->Theme->Add New पे जाके Generate Press Type करेंगे.

 

अब आप Theme को Install करे और Active Button पर Click करे. अब Successfully आपका Theme Install हो जायेगा।

 (GeneratePress Theme Setup के लिए इस Video को जरूर देखे)

STEP 5: आपने First ब्लॉग Post को Write करे और Published करे.

Theme Setup के बाद आपको सबसे पहला काम आपको आपने 1st Blog Post Publish करना है.

But Wait Wait!

आपको यही गलती नहीं करना है.

जब भी हम कोई आर्टिकल लिखते है तो किसी Keywords को Target करके, उस Keywords के Around ही हम Blog Post लिखते है.

मैं आपको ब्लॉग पोस्ट लिखने से पहले Keyword Research करना है.

आपके जो भी Niche है उस Niche के Related आपको Keywords निकाल ना है और आपना पहला Blog Post लेखना है.

Keyword Research के लिए बोहोत सारे Free और Paid Tools है जैसे की: Google Keyword Planner, Ubbersuggest आप Use पे ले सकते है.

नहीं तो आप Simply Google पे Search करे और आपको बोहोत सारे Keyword Ideas वाहा से मिल जायेगा।

Like This:

आप जिस भी Topic पे Blog लिखना साहते है उसको Google पे Type करे और Space दे और आपके सामने बोहोत सारे Keywords मिलेंगे जिसके Around आप Blog Post लेख सकते है.

दूसरा, आप गूगल पे Keywords को Search करने के बाद Bottom पे जाये। वाहा पे भी Google आपको बोहोत सारे Keywords Suggest करेगा जिसके Around आप Blog Post लेख सकते है.

STEP 6: अपने ब्लॉग को Promote करें.

ब्लॉग पोस्ट लिखने आपका सबसे पहला काम होगा Blog Post को Promote करना। Internet पर बोहोत सारे ways  है जिससे आप आपने Blog को Promote कर सकते है.

1.SEO (Search Engine Optimization) करके:

2. Running Ads (Through Google Adword, Facebook Ads, Instagram Ads, Pinterest Ads) करके.

3. Quora पे Answer देके.

इसके अलावा भी बोहोत सारे Ways है जिसको Use करके आप Blog को Promote कर सकते है और ब्लॉग पे Traffic ला सकते है.

मेरा Favourite Method है SEO, SEO एक ऐसा Method है जो आपके Blog पे Thousands Of Traffic ला सकता है.

SEO से हमे Organic Traffic मिलता है, ये सबसे Easy Way है.

 

दूसरा है Paid Ads, अगर आपके पास Budget अत्छा है तो आप Facebook, Google पे Ads साला के भी आपने ब्लॉग पे Traffic ला सकते है.

पर अगर आपका Paid Ads का Knowledge नहीं है टो आपका पैसा Waist भी हो सकता है.

तीसरा है, Quora Answer, Quora पे भी आप अपने ब्लॉग के Related Questions पे Answer करके आप आपने ब्लॉग का Url देके भी बोहोत सारा Traffic ला सकते है.

STEP 7: आपने ब्लॉग को Monetize करे.

आपने Blog पे Traffic जब आयेगा तो आप Traffic को Monetize भी तो करना होगा right?, तभी तो आप पैसा कमा पाएंगे.

Blog को Monetize करने का भी बोहित सारे तरीके है, जैसे की:

1.Google Adsense
2.Affiliate Marketing
3.Selling Course

ब्लॉग को Monetize करने का ये तीन बोहोत ही अत्छा Way है.

Adsense से आपने ब्लॉग को Monetize करने के लिए आपको पहले Google Adsense से Approval लेना पड़ेगा उसके बाद आप आपने ब्लॉग पे Ads Show करवा सकते है. आपको Ads के Click से आपको पैसा बनने लगेंगे।

दूसरा तरीका है, Affiliate Marketing। आप किसी भी Affiliate Platform पे Join होक Products को आपने ब्लॉग के थ्रू Promote करके भी आपने ब्लॉग को Monetize कर सकते है.

तीसरा जो तरीका है वो सबसे Powerful तरीका है. आप Online Course को आपने ब्लॉग के थ्रू Promote करके भी Monetize कर सकते है. इससे आप Imagine नहीं कर सकते की आप कितना पैसा कमा सकते है.

So, आप इन Three Ways से आप आपने ब्लॉग को Monetize कर सकते है.

Also Read: Best Hindi Blog List 2020

Also Read: Digital Marketing in Hindi (Full Guide)

Conclusion:

दोस्तों हमारे इस आर्टिकल पे बस इतना ही था. I Hope आप सबको हमारे आज का आर्टिकल Website Kaise Banaye इसको पढ़ के बोहोत ही अत्छा लगा होगा।

अगर आपको Blog kaise banaye इसको लेके कोई भी Question आपके मन में है तो आप हमे जरूर बताये। हम आपके Question का Answer जरूर देंगे।

और आपको आर्टिकल कैसा लगा हमे Comments पे बताना ना भूले।

अगर आर्टिकल अत्छा लगा तो आपने दोस्तों को Share करने के साथ साथ Facebook, Twitter & Linkedin पे भी जरूर Share करे, धन्यबाद ||

What is Linux Commands in Hindi?

Author: admin | On:28th Nov, 2020 | 1606 View

What is Linux Commands in Hindi?

लिनक्स एक बहुचर्चित ऑपरेटिंग सिस्टम है, जिसकी मूल आंतरिक संरचना या डिजाइन आर्किटेक्चर यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम पर आधारित है। Linux OS को 1991 में  Linus Torvalds (लिनस टोरवाल्ड्स) नाम के कंप्यूटर इंजीनियर द्वारा बनाया गया था। लिनक्स एक ओपन सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम है, अर्थात इसका उपयोग कोई भी फ्री में कर सकता है तथा इसके सोर्स कोड को डाउनलोड करके अपनी इच्छा अनुसार edit कर सकता है।

What is Linux Commands in Hindi :- लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में विभिन्न कार्यों को करने के लिए आदेश या कमांड की एक सूची पहले से उपलब्ध है। इसमें फोल्डर बनाने से लेकर किसी टेक्स्ट फाइल को एडिट करने तक के लिए अलग-अलग कमांड उपलब्ध है। अलग-अलग प्रकार तथा संस्करण के लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में फाइलों की कुल संख्या 2700 – 3000 तक हो सकती है।

जब भी कोई उपयोगकर्ता लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में कोई काम करना चाहता है, तो वह टर्मिनल को खोलकर उसमें कमांड लिख कर काम को पूरा कर सकता है। वैसे तो वर्तमान समय में लगभग सभी लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (graphical user interface या GUI) भी उपलब्ध होता है।इसके  उपयोग से कोई भी कंप्यूटर उपयोगकर्ता बिना कमांड का उपयोग किये भी ऑपरेटिंग सिस्टम में काम कर सकता है। लेकिन फिर भी प्रोफेशनल सॉफ्टवेयर डेवलपर तथा नेटवर्क इंजीनियर जो मुख्य रूप से लिनक्स का उपयोग करते हैं वह सभी कमांड के मदद से लिनक्स में काम करना पसंद करते हैं।

linux commands in hindi
Linux Operating Systyem Commands in Hindi

Example of Popular Linux Command in Hindi

Example of Popular Linux Command in Hindi :- लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में 2700 से 3000 तक कमांड है, इन कमांड को जांचने के लिए भी एक कमांड है अर्थात अगर कोई यूज़र यह जानना चाहे कि वह linux के जिस संस्करण का उपयोग कर रहा है उसमें कुल कितने कमांड है, तो वह इसके लिए linux terminal पर अपने कीबोर्ड से ls लिख कर Enter बटन को दबयेगा तो उस ऑपरेटिंग सिस्टम में मौजूद सभी कमांड कंप्यूटर के स्क्रीन पर प्रदर्शित हो जाएंगे। इसके अलावा लिनक्स Operating System के कई और पॉपुलर कमांड निम्नलिखित रुप से है :-

  • ls command in linux in hindi:- ls कमांड के उपयोग से किसी भी डायरेक्टरी में मौजूद सभी फ़ाइल के नाम को प्रदर्शित किया जा सकता है अर्थात इससे पता चलता है कि यूजर वर्तमान समय पर जिस डायरेक्टरी में है उसमें कौन-कौन से फाइल मौजूद है।
  • cd command in linux in hindi:- cd का मतलब होता है change directory (चेंज डायरेक्टरी), इसके उपयोग से user एक डायरेक्टरी से बाहर निकलकर दूसरे डायरेक्टरी में जा सकता है।
  • mkdir command in linux in hindi:- mkdir कमांड के उपयोग से यूजर लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में नया डायरेक्टरी बना सकता है।
  • rmdir command in linux in hindi:- rmdir कमांड के उपयोग से यूजर किसी पुरानी डायरेक्टरी को डिलीट या रिमूव कर सकता है।
  • echo command in linux in hindi:- लिनक्स echo कमांड का उपयोग कई प्रकार से किया जा सकता है, जैसे कि किसी वेरिएबल के अंदर जमा जानकारियों को स्क्रीन पर प्रदर्शित करने के लिए या फिर किसी टेक्स्ट या स्ट्रिंग को स्क्रीन पर प्रदर्शित करने के लिए भी echo कमांड का उपयोग किया जा सकता है।
  • kill command in linux in hindi:- लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में kill कमांड के उपयोग से कंप्यूटर के CPU में निष्पादित हो रहे किसी प्रोसेसेस को टर्मिनेट या समाप्त किया जा सकता है ।
  • cp command in linux in hindi:- cp का मतलब copy होता है। इसका उपयोग एक या एक से अधिक फाइल और डायरेक्टरी को एक जगह से कॉपी करके दूसरे जगह तक ले जाने के लिए किया जाता है।
  • ps command in linux in hindi:- ps का मतलब Process Status (प्रोसेस स्टेटस) होता है। ps कमांड के उपयोग से कंप्यूटर के cpu में निष्पादित हो रहे विभिन्न प्रोसेस को सूचीबद्ध किया जा सकता है तथा प्रोसेस के विषय में विभिन्न प्रकार के जानकारियों को प्राप्त किया जा सकता है।
  • cut command in linux in hindi:- लिनक्स में cut कमांड का उपयोग किसी लाइन से टेक्स्ट को स्लाइस करने के लिए या extracts करने के लिए किया जाता है अर्थात अगर साधन शब्दों में कहें तो इसके उपयोग से किसी वाक्य के किसी एक हिस्से को काट कर निकाला जा सकता है और उसका उपयोग विभिन्न प्रकार से उपयोग किया जा सकता है।
  • man command in linux in hindi :- man कमांड के उपयोग से यह पता किया जा सकता है की लिनक्स में दूसरे कमांड का उपयोग किस प्रकार से करना है अर्थात यह कमांड दूसरे लिनक्स कमांड के विषय में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।
  • head command in linux in hindi :- लिनक्स में हेड कमांड के उपयोग से फ़ाइल के शीर्ष से 10 पंक्तियों को स्क्रीन पर प्रिंट किया जाता है, डिफ़ॉल्ट रूप से यह पहले के 10 पंक्तियों को प्रिंट करता है।
  • cat command in linux in Hindi :- cat कमांड का उपयोग लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में नया फाइल बनाने के लिए किया जाता है।
  • touch command in linux in hindi :- touch कमांड का उपयोग लिनक्स में किसी फ़ाइल के टाइमस्टैंप को बदलने और संशोधित करने के लिए किया जाता है।
  • alias command in linux :- alias कमांड के उपयोग से लिनक्स OS में नया कमांड बनाया जा सकता है, अगर साधारण शब्दों में कहें तो इसका उपयोग किस की लंबी कमांड को छोटे अक्षर वाले शब्दो से संदर्भित करने के लिए किया जाता है।
  • chmod command in linux:- chmod कमांड का मतलब होता है change mode. इसके उपयोग से लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में फाइल को एक्सेस करने से संबंधित नियमों या permissions में परिवर्तन किया जाता है।
  • chown command in linux:- chown कमांड का मतलब होता है change owner. इसके उपयोग से लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में फाइल या डायरेक्टरी के owner में परिवर्तन किया जाता है।
  • curl linux command:- curl कमांड के उपयोग से लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में किसी local computer से सर्वर पर data को हस्तांतरित किया जा सकता है।
  • df command in linux :- df कमांड का मतलब होता है disk free. इसके उपयोग से लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के हार्ड डिस्क में खाली मेमोरी स्पेस बचे मेमोरी स्पेस से संबंधित जानकारियों को प्रदर्शित किया जाता है। df कमांड यह भी बताता है कि किस फाइल या डायरेक्टरी द्वारा कितनी मेमोरी स्पेस को अधिकृत किया गया है।
  • diff command in linux :- df कमांड का मतलब होता है यह किसी दो फाइलों के बीच लाइन-बाई-लाइन तुलना करके यह बताता है की फाइल को दूसरे फाइल में परिवर्तित करने के लिए क्या-क्या परिवर्तन करना होगा।
  • exit command in linux :- exit कमांड का उपयोग वर्तमान में चल रहे शेल से बाहर निकलने के लिए किया जाता है।
  • find command in linux :- find कमांड का उपयोग उपयोगकर्ता द्वारा निर्दिष्ट मानदंडों के आधार पर फाइलों की सूची को खोजने के लिए किया जाता है।
  • finger command in linux:- इसका उपयोग आमतौर पर सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर द्वारा सिस्टम के सभी यूजर से संबंधित जानकारियों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
  • free command in linux:- free कमांड कंप्यूटर की मेमोरी में बचे खाली स्पेस को प्रदर्शित करता है।
  • grep command in linux :- grep कमांड का उपयोग फाइल के अंदर उपयोगकर्ता द्वारा दिए गए मापदंडों के आधार पर text को सर्च करने के लिए किया जाता है।
  • gzip command in linux :- gzip कमांड का उपयोग किसी फ़ाइल को compress करके उसे छोटा करने के लिए किया जाता है।
  • history command in linux :- लिनक्स टर्मिनल को खोलने के बाद उसमें लिखे गए सभी कीवर्ड को history कमांड के मदद से देखा जा सकता है।
  • mv command in linux :-:- mv कमांड का मतलब होता है इसके उपयोग से एक या एक से अधिक फाइल्स या डायरेक्टरी को एक जगह से दूसरी जगह पर स्थानांतरित किया जा सकता है।
  • passwd command in linux :- passwd कमांड का उपयोग यूजर अकाउंट के पासवर्ड को परिवर्तित करने के लिए किया जाता है।
  • ping command in linux :- ping कमांड का उपयोग नेटवर्क कनेक्टिविटी से सम्बंदित समस्याओं के निवारण, परीक्षण और निदान के लिए किया जाता है।
  • shutdown command in linux :- Shutdown कमांड के उपयोग से कंप्यूटर को Shutdown या बंद किया जा सकता है।

Advantages of using Linux Command Line

Advantages of using Linux Command Line :- जैसा कि आप जानते हैं किसी भी सामान्य ऑपरेटिंग सिस्टम में दो प्रकार के यूजर इंटरफेस होते हैं – graphical user interface ( ग्राफिकल यूजर इंटरफेस ) या GUI और command line interface ( कमांड लाइन इंटरफेस ) या CLI.

ग्राफिकल यूजर इंटरफेस में यूजर विभिन्न विजुअल ऑब्जेक्ट को अपने माउस या अन्य इनपुट उपकरण के मदद से बड़ी आसानी से निर्देश देकर काम कर सकता है, लेकिन कमांड लाइन इंटरफेस में यूजर अपने कीबोर्ड के मदद से कमांड देकर विभिन्न कामों को करता है, अर्थात कमांड लाइन इंटरफेस के साथ काम करना ज्यादा कठिन है क्योंकि इसमें किसी काम को करने के लिए यूजर को उस काम से संबंधित विशिष्ट कमांड का ज्ञान होना आवश्यक होता है।

जबकि ग्राफिकल यूजर इंटरफेस में यूजर को किसी कमांड से संबंधित ज्ञान रखने की कोई आवश्यकता नहीं होती इसमें वह बड़ी आसानी से किसी काम को कर सकता है। लेकिन फिर भी लिनक्स और यूनिस जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम में उपयोगकर्ता ग्राफिकल यूजर इंटरफेस की तुलना में कमांड लाइन इंटरफेस का उपयोग ज्यादा करते हैं तथा विद्यार्थियों को भी जब लिनक्स और यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम पढ़ाया जाता है तो उन्हें कमांड लाइन इंटरफेस के विषय में जरूर सिखाया जाता है ताकि वह विभिन्न कमांड से परिचित हो सके इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित रुप से है:-

  • आमतौर पर लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग server administrator (सर्वर एडमिनिस्ट्रेटर), network engineer (नेटवर्क इंजीनियर), software developer (सॉफ्टवेयर डेवलपर), ethical hacker (एथिकल हैकर) जैसे प्रोफेशनल लोगों द्वारा किया जाता है। जिनके लिए किसी काम को तेजी से करना बहुत आवश्यक होता है। इन प्रोफेशनल लोगों के द्वारा कीबोर्ड में किसी latter को टाइप करने की गति बहुत अधिक होती है तथा ये लोग किसी काम को करते समय माउस जैसे उपकरणों का उपयोग करना पसंद नहीं करते क्योंकि इससे उनके काम की गति पर दुष्प्रभाव पड़ता है, कमांड लाइन इंटरफेस के उपयोग का एक कारण यह भी है।
  • लिनक्स में प्रोफेशनल लोगों के द्वारा स्क्रिप्ट से संबंधित जो repetitive tasks किए जाते हैं उन कामों को कमांड के मदद से करने पर बहुत जल्दी और आसानी से पूरा किया जा सकता है।
  • कई बार सिस्टम क्रैश हो जाने के कारण या कई अन्य कारण से ग्राफिकल यूजर इंटरफेस उपलब्ध नहीं होता है, ऐसे समय पर कमांड लाइन इंटरफेस का उपयोग करना अनिवार्य हो जाता है।

Summery of Linux Command in Hindi :- इस लेख में हमने लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में मौजूद कमांड के बारे में सरल हिंदी भाषा में चर्चा किया किया है। उम्मीद है की Linux Command in Hindi पर लिखा गया यह लेख आप को पसंद आया होगा। अगर आप लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम पर लिखे गए इस लेख से संबंधित कोई सुझाव हमें देना चाहते हैं या कोई प्रश्न पूछना चाहते है, तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताएं।

System Call in Operating System in Hindi

Author: admin | On:24th Nov, 2020 | 1408 View

System Call in Operating System in Hindi

ऑपरेटिंग सिस्टम के सिस्टम कॉल को समझने से पहले kernel mode (कर्नेल मोड) और user mode (यूज़र मोड) को समझ लेना बहुत आवश्यक है। किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम में कुल 2 मोड होते हैं, ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा किए जाने वाला प्रत्येक कार्य इन दोनों मोड में से किसी एक पर हो रहा होता है।

  • कर्नेल मोड:- किसी ऑपरेटिंग सिस्टम में कर्नेल मोड विशेषाधिकार प्राप्त और शक्तिशाली मोड होता है, जो की कंप्यूटर सिस्टम के किसी भी हार्डवेयर संसाधन या मेमोरी में जमा जानकारियों को एक्सेस कर सकता है। आमतौर पर कर्नल मोड के द्वारा ऑपरेटिंग सिस्टम के सबसे महत्वपूर्ण प्रोग्राम और डिवाइस ड्राइवर आदि को निष्पादित किया जाता है और अगर कर्नल मोड में कोई प्रोग्राम क्रैश कर जाता है तो इसका प्रभाव पूरे ऑपरेटिंग सिस्टम पर पड़ सकता है जिससे पूरा कंप्यूटर बंद हो सकता है।
  • यूज़र मोड:- यूज़र मोड में निष्पादित होने वाले प्रोग्राम पूरे सिस्टम के हार्डवेयर संसाधन तथा मेमोरी में जमा सभी डेटा को सीधे तौर पर एक्सेस नहीं कर सकता है। अगर कोई प्रोग्राम यूज़र मूड में क्रैश कर जाता है, इसका प्रभाव हुए ऑपरेटिंग सिस्टम पर नहीं पड़ता है। आमतौर पर यूजर मोड में सामान्य प्रोग्राम तथा उपयोगकर्ता द्वारा दिए जाने वाले निर्देशों का निष्पादन किया जाता है।

System Call in Operating System in Hindi

System Call in Operating System in Hindi
System Call in Operating System in Hindi

System Call in Operating System in Hindi :- सिस्टम कॉल एक मैकेनिज्म है, जो ऑपरेटिंग सिस्टम के यूज़र मोड और कर्नेल मोड के बीच एक इंटरफ़ेस प्रदान करता है, अर्थात अगर साधारण शब्दों में कहें तो जब कोई प्रोग्राम कंप्यूटर के यूजर मोड में निष्पादित हो रहा होता है तो उसे मेमोरी में जमा कोई डाटा या किसी हार्डवेयर उपकरण का उपयोग करने के लिए कर्नल के अनुमति की आवश्यकता होती है। इसलिए ऑपरेटिंग सिस्टम में सिस्टम कॉल की आवश्यकता होती है, जोकि यूज़र मोड में निष्पादित हो रहे प्रोग्राम और कर्नल के बीच एक इंटरफ़ेस प्रदान करता है।

जब कोई प्रोग्राम सिस्टम कॉल करता है, तो वह यूज़र मोड से बदलकर कर्नेल मोड पर चला जाता है इस प्रक्रिया को context switch ( कॉन्टेस्ट स्विच ) कहा जाता है। उसके बाद कर्नेल प्रोग्राम को आवश्यक संसाधन प्रदान करता है और प्रोग्राम दुबारा कर्नेल मोड से यूजर मोड में चला आता है।

Services Provided by System Calls in Hindi

Services Provided by System Calls in Hindi :- सिस्टम कॉल के द्वारा प्रोग्राम को निम्नलिखित प्रकार की सेवाएं प्रदान की जाती है

  • सिस्टम कॉल किसी प्रोग्राम के निष्पादन को प्रारंभ करने तथा उन्हें प्रबंधित करने में मदद करता है।
  • यह कंप्यूटर के मेन मेमोरी जिसे random access memory (रेंडम एक्सेस मेमोरी) या RAM कहते हैं, उसमें जमा जानकारियों को प्रबंधित करने में मदद करता है।
  • यह फाइलों तथा डायरेक्टरी को एक्सेस करने तथा उन्हें प्रबंधित करने में मदद करता है।
  • सिस्टम कॉल हार्डवेयर उपकरण तथा इनपुट / आउटपुट डिवाइस को हैंडल करने में मदद करता है।
  • नेटवर्किंग के माध्यम से विभिन्न कंप्यूटरों के बीच जानकारियों का आदान प्रदान करने में भी सिस्टम कॉल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।

Type of System Calls in Hindi

Type of System Calls in Hindi :- सिस्टम कॉल मुख्य रूप से पांच प्रकार के होते हैं

  • Process Control (प्रोसेस कंट्रोल):- जब कोई प्रोग्राम निष्पादन की अवस्था में होता है तो उसे प्रोसेस कहते हैं, अर्थात जब कोई प्रोग्राम कंप्यूटर के सीपीयू में निष्पादित हो रहा होता है तो उसे प्रोसेस कहते है। प्रोसेस कंट्रोल सिस्टम कॉल के द्वारा किसी नए प्रोसेस का निर्माण तथा किसी प्रोसेस के समाप्ति से संबंधित प्रक्रियाओं को पूरा किया जाता है।
  • File Management (फाइल मैनेजमेंट):- इस प्रकार के सिस्टम कॉल का उपयोग फाइलों को एक्सेस करने, उन्हें एडिट करने, अपडेट करने तथा डिलीट करने से संबंधित कार्यों के लिए किया जाता है।
  • Device Management (डिवाइस मैनेजमेंट):- इन सिस्टम कॉल का उपयोग विभिन्न हार्डवेयर उपकरणों जैसे कि इनपुट या आउटपुट उपकरण, प्रिंटर, स्कैनर आदि के साथ काम करने के लिए किया जाता है।
  • Information Maintenance (इनफार्मेशन मेंटेनेंस):- यह सिस्टम कॉल यूजर द्वारा दिए जाने वाले निर्देशों या प्रोग्रामों तथा ऑपरेटिंग सिस्टम के बीच जानकारियों के हस्तांतरण को संभालता है।
  • Communication (कम्युनिकेशन):- यह सिस्टम कॉल विभिन्न उपकरणों के बीच जानकारियों का आदान प्रदान करके संचार व्यवस्था स्थापित करने में मदद करता है।

Conclusion System Calls in Hindi:-  सिस्टम कॉल का उपयोग कंप्यूटर के सीपीयू में निष्पादित हो रहे प्रोग्राम के द्वारा यूज़र मोड से कर्नल मोड में स्विच करने के लिए किया जाता है। किसी प्रोग्राम द्वारा मेमोरी में जमा जानकारियों को एक्सेस करने के लिए तथा इनपुट-आउटपुट ऑपरेशन को पूरा करने के लिए विभिन्न हार्डवेयर उपकरणों तक पहुंचने की अनुमति चाहिए होता है। लेकिन यूज़र मोड में निष्पादित हो रहा प्रोग्राम इन कामों को करने के लिए सिस्टम कॉल का उपयोग करके यूजर मोड से कर्नल मोड में स्विच करता है और उसके बाद अपने निष्पादन की प्रक्रिया को पूरा करता है।

सिस्टम कॉल मुख्य रूप से पांच प्रकार के होते हैं, जो किसी प्रोग्राम के निष्पादन को प्रारंभ करने से लेकर उसके निष्पादन को पूरा करवाने तक विभिन्न प्रकार से सहायता करते हैं।

What is Memory Management in Hindi?

Author: admin | On:24th Nov, 2020 | 1597 View

What is Memory Management in Hindi?

Definition of Memory Management in Hindi :- मेमोरी मैनेजमेंट ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) द्वारा कंप्यूटर के मेमोरी में जमा जानकारियों को प्रबंधित करने की एक प्रक्रिया है। मेमोरी मैनेजमेंट का मुख्य उद्देश्य होता है, कंप्यूटर के प्राइमरी मेमोरी या RAM के memory block की जगह को प्रोसेसर में निष्पादित हो रहे program को आवंटित करना तथा इन डेटा को इस प्रकार से सुव्यवस्थित करना कि इसमें कोई जगह बर्बाद ना हो।

मेमोरी मैनेजमेंट कंप्यूटर के किसी Operating System द्वारा किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण कामों में से एक है । मेमोरी को मैनेज करने के उद्देश्य से OS मेमोरी के प्रत्येक के हिस्से पर नज़र रखता है तथा देखता है कि मेमोरी में कहां कोई स्थान खाली है तथा उन स्थानों का किस प्रकार से उपयोग किया जा सकता है।

Need of Memory Management in Hindi

Need of memory management in Hindi :- कंप्यूटर में OS द्वारा मेमोरी मैनेजमेंट करने का मुख्य कारण निम्नलिखित रुप से है :-

memory management in os in hindi
Memory Management in OS in Hindi
  • मेमोरी मैनेजमेंट के उपयोग से ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर के मेमोरी का विश्लेषण करके यह जांच करता है, कि उसमें कितना खाली स्थान बचा है और उन खाली स्थानों में किसी नए प्रोग्राम और उसके डाटा को किस प्रकार से जमा किया जाए जाना चाहिए।
  • इसके द्वारा ऑपरेटिंग सिस्टम यह सुनिश्चित करता है, कि जिन प्रोग्रामों का निष्पादन पूरा हो चुका है उनके द्वारा मेमोरी में अधिकृत किए गए स्थानों को मुक्त किया जाए जिससे कि मेमोरी में खाली स्थान बना रहे।
  • मेमोरी मैनेजमेंट के उपयोग से यह सुनिश्चित किया जाता है, कि प्रत्येक कंप्यूटर प्रोग्राम के डाटा को अलग-अलग मेमोरी ब्लॉक में विभाजित करके जमा किया जाए। जिससे कि एक प्रोग्राम का डाटा दूसरे प्रोग्राम के डाटा पर अनावश्यक रूप से प्रभाव डालकर कोई समस्या उत्पन्न ना करें।
  • यह कंप्यूटर के CPU में निष्पादित हो रहे प्रोग्राम को मेमोरी में जमा data के साथ परस्पर संबंध स्थापित करने में मदद करता है।
  • जैसा कि आप जानते हैं किसी प्रोग्राम को कंप्यूटर के CPU द्वारा निष्पादित किया जा सके इसके लिए उस प्रोग्राम तथा उसके द्वारा उपयोग किए जाने वाले डेटा दोनों को कंप्यूटर के प्रायमरी मेमोरी अर्थात RAM में ला कर जमा करना आवश्यक होता है। लेकिन ऐसा आवश्यक नहीं कि RAM में हमेशा किसी प्रोग्राम को जमा करने के लिए जगह खाली हो, कई बार विभिन्न कारणों RAM की मेमोरी स्पेस का दुरुपयोग होता है जैसे कि fragmentation (फ्रेगमेंटेशन) आदि।
  • इसके multiprogramming (मल्टीप्रोग्रामिंग) कंप्यूटर में तो एक साथ बहुत सारे प्रोग्राम निष्पादित हो रहे होते हैं, ऐसे में RAM की मेमोरी स्पेस का पूरी तरह से भर बाहर जाना बहुत ही साधारण बात है, इस प्रकार की परिस्थिति से बचने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम Swapping की तकनीक का उपयोग करके प्राइमरी मेमोरी में नए प्रोग्राम के लिए जगह बनाता है। यह सब कार्य भी मेमोरी मैनेजमेंट के अंतर्गत ही आता है।

Memory Management Techniques used by an Operating System in Hindi 

  • Contiguous memory allocation (कन्टिग्यूअस मेमोरी एलोकेशन):- यह मेमोरी आवंटित करने का सबसे साधारण प्रक्रिया है, इसमें कंप्यूटर के प्राइमरी मेमोरी को मुख्य रूप से दो भागों में बांट दिया जाता है, पहले भाग का उपयोग ऑपरेटिंग सिस्टम अपने निजी कामों के लिए उपयोग करता है तथा दूसरे भाग में दूसरे भाग किसी एक प्रोग्राम को आवंटित कर दिया जाता है। इसमें एक बार में एक ही प्रोग्राम का निष्पादन संभव है, क्योंकि इसमें मेमोरी एक बार में केवल एक ही प्रोग्राम को जमा किया जाता है।
  • Partitioned Allocation (पार्टिशन ऐलकेशन) :- इसमें RAM को कई अलग-अलग हिस्सों में विभाजित किया जाता है, लेकिन यह प्रत्येक के हिस्सा contiguous प्रवृत्ति का होता है अर्थात इसके उन प्रत्येक हिस्सों में केवल एक ही प्रोग्राम को जमा किया जा सकता है।
  • Paging (पेजिंग) :- यह विधि कंप्यूटर की मुख्य मेमोरी को निश्चित आकार की इकाइयों में विभाजित करती है, जिन्हें page frames (पेज फ्रेम) कहते है । यहां इन बातों का ध्यान रखा जाता है, की प्रोग्राम का आकर पेज फ्रेम के आकर के बराबर हो। जिससे कि प्रत्येक पेज फ्रेम में एक प्रोग्राम को जमा किया जा सके और मेमोरी का बेहतर उपयोग हो सके।
  • Segmentation (सेग्मन्टेशन):- यह बहुत ही उन्नत किस्म की मेमोरी मैनेजमेंट तकनीक है, इसमें मेमोरी को कई छोटे-छोटे segments (खंडों) में विभाजित किया जाता है, इन प्रत्येक के खंडों का आकर परिवर्तनशील तथा एक दूसरे से अलग हो सकता है । इन प्रत्येक इस सेगमेंट में प्रोग्राम के एक हिस्से को जमा किया जाता है ।
  • Swapping (स्वापिंग):- कंप्यूटर की प्राइमरी मेमोरी का आकार बहुत ही सीमित होता है तथा कई बार यह पूरी तरह से भर जाता है, जिससे कि किसी नए प्रोग्राम को मेमोरी में जमा करने की जगह नहीं होती है। इस समस्या को देखते हुए ऑपरेटिंग सिस्टम Swapping की तकनीक का उपयोग करता है तथा किसी ऐसे प्रोग्राम जिसका निष्पादन वर्तमान में रुका हुआ है उसके कुछ समय के लिए कंप्यूटर के सेकेंडरी स्टोरेज या Hard Disk में भेज देता है। इससे प्राइमरी मेमोरी की जगह खाली हो जाती है और इस खाली जगह का उपयोग ऑपरेटिंग सिस्टम किसी नए प्रोग्राम के लिए करता है।

Advantages of memory management in Hindi 

  • यह मेमोरी के स्पेस को बिना बर्बाद किए उन्हें बेहतर तरीके से उपयोग करने में मदद करता है।
  • यह अधिक से अधिक प्रोग्राम और उनके डाटा को प्राइमरी मेमोरी में जमा करके central processing unit को मल्टीप्रोग्रामिंग करने में मदद करता है।
  • कुशल मेमोरी मैनेजमेंट के कारण सीपीयू द्वारा मेमोरी में जमा डाटा को एक्सेस करने की गति बढ़ती है जिससे की कंप्यूटर जल्दी से जल्दी Output प्रदान करके अपने प्रदर्शन को बेहतर करता है।
  • इसके उपयोग से ऑपरेटिंग सिस्टम प्रत्यय मेमोरी स्पेस की जाँच करता है तथा जैसे ही किसी प्रोग्राम का निष्पादन पूरा होता है तो उस प्रोग्राम द्वारा अधिकृत मेमोरी स्पेस को खाली कर के किसी नए प्रोग्राम को उस जगह पर जमा करने की व्यवस्था की जाती है।
  • यह कंप्यूटर के मेमोरी अर्थात Random-access memory के प्रदर्शन को सुधारता है जिससे कि वह अपने काम को उच्च गति से पूरा कर पाता है।
  • मेमोरी मैनेजमेंट किसी प्रोग्राम के डेटा को सुरक्षित करता है और एक प्रोग्राम के डाटा को किसी दूसरे प्रोग्राम के डाटा से अनाधिकृत रूप से संवाद करने से रोकता है तथा उन्हें एक दूसरे से अलग करके रखता है।

Conclusion Memory Management in OS in Hindi :- यह कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा किए जाने वाला एक महत्वपूर्ण कार्य है जिसके उपयोग से ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर के मेमोरी को प्रबंधित करता है तथा प्रोग्राम और उनके डाटा को मेमोरी में बेहतर से बेहतर तरीके से जमा करने में मदद करता है।

मेमोरी मैनेजमेंट के उपयोग से ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयास करता है कि कंप्यूटर के प्राइमरी मेमोरी अर्थात RAM का कोई भी खाली हिस्सा या स्पेस बिल्कुल भी बर्बाद ना हो तथा इसमें ज्यादा से ज्यादा प्रोग्राम को एक बार में जमा करके इसका अच्छे से उपयोग किया जा सके। यह multiprogramming में कंप्यूटर के CPU की मदद करता है जिससे कि कंप्यूटर के प्रोसेसिंग स्पीड को बढ़ाकर उपयोगकर्ता के समक्ष जल्द से जल्द प्रदर्शित करने में मदद मिलती है।

बर्तमान समय में मेमोरी मैनेजमेंट के कार्य को करने के लिए कई उन्नत किस्म की तकनीकें विकसित की जा चुकी है जैसे कि paging (पेजिंग), swapping (स्वैपिंग), segmentation (सेगमेंटेशन) आदि। इन तकनीकों के उपयोग से प्राइमरी मेमोरी का अच्छे से सदुपयोग संभव है।

इस लेख में हमने मेमोरी मैनेजमेंट सिस्टम के बारे में सरल हिंदी भाषा में चर्चा किया किया है। इसमें हमने मेमोरी मैनेजमेंट के Definition, Need , Techniques, Advantages आदि के बिषय में बिस्तर से चर्चा किया है।
उम्मीद है की Memory Management in Operating System in Hindi पर लिखा गया यह लेख आप को पसंद आया होगा। अगर आप Memory Management in OS पर लिखे गए इस लेख से संबंधित कोई सुझाव हमें देना चाहते हैं या कोई प्रश्न पूछना चाहते है, तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताएं।

What is File Management in Hindi?

Author: admin | On:24th Nov, 2020 | 1707 View

What is File Management in Hindi?

File Management के बारे में जानने से पहले फ़ाइल को जानना आवश्यक है।

What is File in Computer System?

फ़ाइल समान प्रकार के जानकारियों का एक समूह होता है, जिससे कंप्यूटर के सेकेंडरी स्टोरेज जैसे की हार्ड डिस्क ड्राइव (HDD) आदि में जमा किया जाता है। फ़ाइल के अंतर्गत विभिन्न प्रकार की जानकारियां आती है, जैसे कि Text, ऑडियो-वीडियो, किसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का सोर्स कोड, Archive आदि।

Definition of File Management in Hindi :- फ़ाइल मैनेजमेंट का उपयोग Operating System (OS) के द्वारा कंप्यूटर के फ़ाइलों को प्रबंधित करने के लिए किया जाता है।

इसके उपयोग से OS यह निर्धारित करता है कि विभिन्न फाइलों को कंप्यूटर के मेमोरी में किस प्रकार से जमा किया जाएगा। इसके साथ ही नया फाइल बनाने, उन्हें अपडेट करने, किसी पुराने फाइल को डिलीट करना जैसी प्रक्रिया भी फाइल मैनेजमेंट के अंतर्गत आती है।

फाइल मैनेजमेंट किसी ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा किए जाने वाले महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है तथा इस काम को लगभग सभी OS  जैसे कि Windows ( विंडोज ), Linux ( लिनक्स ), Macintosh ( मैकिनटोश ),  Android ( एंड्राइड ) आदि के द्वारा अनिवार्य रूप से किया जाता है।

Main Functions of File Management System in Hindi

Main Functions of File Management System in Hindi :- फ़ाइल मैनेजमेंट के अंतर्गत operating system (ऑपरेटिंग सिस्टम) के द्वारा कंप्यूटर में निम्नलिखित कामों को किया जाता है :-

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File Management System in Hindi
  • इसके उपयोग से कंप्यूटर में नए फाइल बनाए जा सकते हैं।
  • इसके उपयोग से कंप्यूटर के हार्ड डिस्क में फाइलों को सुव्यवस्थित तरीके से जमा करके रखा जा सकता है।
  • मेमोरी में जमा इन फ़ाइलों को जल्दी से जल्दी बहुत ही आसानी से ढूंढ़ने में मदद करता है।
  • यह विभिन्न user के बीच फ़ाइलों और उसमे जमा जानकारियों को बहुत ही आसानी से साझा करने में मदद करता है।
  • यह विभिन्न फाइलों को उपयोगकर्ता की आवश्यकता के अनुसार अलग-अलग फ़ोल्डरों में संग्रहित करने में सहायता करता है।
  • file management system के उपयोग से उपयोगकर्ता अलग-अलग प्रकार के फाइल जैसे कि txt, doc, pdf, mp4 आदि का प्रबंधन कर सकता है तथा उनमें विभिन्न प्रकार के सुरक्षा संबंधी विशेषताओं को भी जोड़ सकता है।
  • यह फाइलों के नाम तथा फाइलों के अंदर जमा डेटा को उपयोगकर्ता की आवश्यकता के अनुसार संशोधित करने या update करने में मदद करता है।
  • यह फाइलों को computer की मेमोरी से पूरी तरह से डिलीट करने में उपयोगकर्ता की मदद करता है।
  • यह फाइलों को एक स्थान से कॉपी करके दूसरे स्थान पर पुनः जमा करने में उपयोगकर्ता की मदद करता है।
  • यह फाइलों को उसमें जमा जानकारी सहित पूरी तरह से backup लेकर उन्हें सुरक्षित करने में उपयोगकर्ता की मदद करता है।
  • यह फाइलों को किसी अनाधिकृत पहुंच (unauthorised access) से बचाने के लिए उसमें विभिन्न प्रकार के सुरक्षात्मक गुणों को जोड़कर उपयोगकर्ता को सुविधाएं प्रदान करता है।
  • फ़ाइल मैनेजमेंट सिस्टम कई महत्वपूर्ण जानकारियां जैसे कि owner of files (फ़ाइल के निर्माता), creation date (फाइल के निर्माण की तिथि), state of completion ( फ़ाइल के पूर्ण होने की स्थिति ) आदि को अपने पास सहेज कर रखता है। तथा आवश्यकता पड़ने पर इन्हें एक रिपोर्ट की तरह प्रदर्शित भी कर सकता है।

File access methods in Hindi

File access methods in Hindi :- किसी कंप्यूटर के मेमोरी में जमा फ़ाइल को एक्सेस करके उसके जानकारियों का उपयोग करने के कई तरीके हैं। कुछ ऑपरेटिंग सिस्टम फ़ाइलों को एक्सेस करने के लिए केवल एक ही बिधि प्रदान करता है, लेकिन कुछ ऐसे भी OS है, जो अलग-अलग प्रकार के आवश्यकता के अनुसार फाइलों को एक्सेस करने के लिए 3 विधियां प्रदान करती है

फ़ाइल को एक्सेस करने के तीन तरीके निम्नलिखित हैं :-

  • Sequential Access :– यह फाइलों को एक्सेस करने की सबसे सरल विधि है, इसमें फाइलों के अंदर जमा सूचनाओं को शुरुआत से अंत तक एक क्रम में संसाधित की जाती है। उदाहरण के लिए जब आप compiler के मदद से किसी प्रोग्राम के source code को संसाधित करते हो तो यह ऊपर से नीचे तक प्रत्येक लाइन को निष्पादित करते हुए जाता है। किसी फाइल को एक्सेस करने के लिए सीक्वेंशियल मेथड का उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है।
  • Direct Access :– इस पद्धति में फ़ाइल के किसी जानकारी को सीधे (Directly) एक्सेस किया जा सकता है, अर्थात इसमें किसी जानकारी को एक्सेस करने के लिए किसी क्रम का पालन नहीं करना पड़ता बल्कि ऑपरेटिंग सिस्टम किसी भी जानकारी को कहीं से भी एक्सेस कर सकता है।
  • Index sequential method :– यह फाइलों को डायरेक्ट एक्सेस करने का एक उन्नत तरीका है, इसमें फाइलों के अंदर जमा जानकारियों के एड्रेस के उपयोग करके उससे एक्सेस किया जाता है। फाइलों में जमा खाते की जानकारी का एक index number होता है तथा उस नंबर के उपयोग से उस जानकारी के एड्रेस तक पहुँचकर उसे बहुत जल्दी एक्सेस किया जा सकता है।

Advantages of file management system in Hindi 

  • Information Arrangement :- फ़ाइल मैनेजमेंट सिस्टम विभिन्न प्रकार के फाइलों को बहुत ही खूबसूरती से कंप्यूटर के मेमोरी में व्यवस्थित करने की सुविधा प्रदान करता है। इसके कारण किसी उपयोगकर्ता के लिए फाइलों को मेमोरी में जमा करना या मेमोरी में ढूंढना बहुत ही आसान हो जाता है।
  • Eliminate loss of files :- कंप्यूटर के सेकेंडरी स्टोरेज डिवाइस यानी की हार्ड डिस्क में हजारों या लाखों फ़ाइल हो सकते हैं। ऐसे में अगर फाइलों को सुव्यवस्थित तरीके से संग्रहित ना किया जाए तो इन्हें ढूंढने में उपयोगकर्ता को अपना बहुत सारा समय बर्बाद करना पड़ सकता है। फाइल मैनेजमेंट सिस्टम फाइलों को search करके ढूंढने की सुविधा प्रदान करता है, जिससे कि user बहुत आसानी से फाइलों को ढूंढ सकता है।
  • Backup :- फाइल मैनेजमेंट सिस्टम के उपयोग से फाइलों का बहुत फाइलों का बहुत आसानी से बैकअप लेकर रखा जा सकता है, जिससे कि अगर किसी समय हार्ड डिस्क खराब हो जाए या किसी अन्य आपदा के कारण कंप्यूटर बंद हो जाए तो user को फाइलों में संग्रहित जानकारियों का नुकसान न उठाना पड़े।
  • Editing:- यहां फाइलों में जमा जानकारियों को बहुत ही आसानी से edit करके उन्हें update करने की सुविधा प्रदान करता है। तथा इसके फाइलों के मूल स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
  • Access methods:- यह फाइलों में जमा जानकारियों तक कई प्रकार से एक्सेस करने की सुविधा प्रदान करता है। जिससे कि User जल्दी से जल्दी जानकारियों को access करके उनका उपयोग कर सकता है।
  • Sharing:- यह फाइलों में संग्रहीत डेटा को एक ही समय में कई उपयोगकर्ताओं के बीच साझा करने की सुबिधा प्रदान करता है ।
  • Security :- यह फाइलों के अनाधिकृत उपयोग से बचाने के लिए उनमें विभिन्न प्रकार के Security Features को जोड़ने की सुविधा प्रदान करता है।

Disadvantages of file management system in Hindi 

  • Data Redundancy :- फाइल मैनेजमेंट सिस्टम के उपयोग से फाइलों को कॉपी करके बहुत आसानी से डुप्लीकेट फाइल बनाए जा सकते हैं, इसलिए इससे कंप्यूटर के मेमोरी में डुप्लीकेट डेटा होने के कारण मेमोरी के space का नुकसान होता है।
  • Data Inconsistency :- चूँकि इसमें डुप्लीकेट data का खतरा बना रहता है, इसलिए यह बहुत संभव है कि फ़ाइलों के अंदर संग्रहित डाटा सुसंगत या consistent  स्थिति में ना हो
  • Security Problems:- हालांकि इसमें फाइलों की सुरक्षा के लिए कुछ Features उपलब्ध है, लेकिन यह नाकाफ़ी है, इन फीचर्स के बावजूद भी कोई यूजर कंप्यूटर के फाइलों को आसानी से hack कर सकते हैं।

Summery of file management system in Hindi :- इस लेख में हमने फाइल मैनेजमेंट सिस्टम के बारे में सरल हिंदी भाषा में चर्चा किया किया है। इसमें हमने फाइल मैनेजमेंट सिस्टम के Definition, Functions, File access methods, Advantages, Disadvantages आदि के बिषय में बिस्तर से चर्चा किया है।
उम्मीद है की file management system in Hindi पर लिखा गया यह लेख आप को पसंद आया होगा। अगर आप फाइल मैनेजमेंट सिस्टम पर लिखे गए इस लेख से संबंधित कोई सुझाव हमें देना चाहते हैं या कोई प्रश्न पूछना चाहते है, तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताएं।

 

What is Embedded Operating system in Hindi?

Author: admin | On:24th Nov, 2020 | 1079 View

What is Embedded Operating system in Hindi?

Definition of Embedded system in Hindi :- एम्बेडेड सिस्टम या एम्बेडेड ऑपरेटिंग सिस्टम किसी विशिष्ट कार्य को करने के लिए बनाया गया एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का एक समूह हो सकता है।

वैसे तो एम्बेडेड सिस्टम एक स्वतंत्र कंप्यूटर की तरह काम करता है, लेकिन आमतौर पर यह किसी बहुत बड़े सिस्टम के साथ जुड़ा होता है। यह आमतौर पर किसी सिंगल chip पर बना होता है तथा इसके पास अपना खुद का सेन्ट्रल प्रॉसेसिंग यूनिट (CPU), मेमोरी, इनपुट / आउटपुट डिवाइस और सॉफ्टवेयर आदि होता है। बहुत छोटा होने के कारण इनकी आंतरिक संरचना बहुत जटिल होती है ।

Main Components of Embedded system in Hindi

Main Components of Embedded Operating system in Hindi :- किसी एम्बेडेड सिस्टम में तीन मुख्य घटक होते हैं –

  • Hardware :- इसमें एक सिंगल chip पर बना छोटा कंप्यूटर होता है, जिसमें मेमोरी यूनिट, इनपुट/आउटपुट डिवाइस, बैटरी जैसे सभी आवश्यक उपकरण होते हैं जिनकी इन्हें आवश्यकता होती है।
  • Application software :- एम्बेडेड सिस्टम को जिस विशिष्ट काम के लिए डिजाइन किया गया है, उससे संबंधित आवश्यक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर इस में होते है, उदाहरण के लिए अगर एंबेडेड सिस्टम को माइक्रोवेव ओवन में लगाया गया है, तो उस एंबेडेड सिस्टम में चूल्हे की गर्मी को प्रदर्शित करने के लिए आवश्यक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर होंगे।
  • Real Time Operating system (RTOS) :- किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के हार्डवेयर काम ऑपरेटिंग सिस्टम के बिना काम नहीं कर सकता। इसमें भी एक रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम जो की एंबेडेड सिस्टम के हार्डवेयर को प्रबंधित करता है तथा विभिन्न प्रकार के प्रोग्रामों को निष्पादित करके आवश्यक आउटपुट प्रदान प्रदान करता है। एंबेडेड सिस्टम में उपयोग होने वाले एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को भी OS के द्वारा ही प्रबंधित किया जाता है, क्योंकि एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर बिना OS स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकता।

Characteristics of an Embedded Operating System in Hindi

Characteristics of an Embedded Operating System in Hindi :- एम्बेडेड सिस्टम की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित रुप से है:-

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Embedded Operating System in Hindi
  • Single-Functioned:- एम्बेडेड सिस्टम को कुछ विशिष्ट काम करने के लिए डिजाइन किया जाता है तथा यह उसी काम को बार-बार दोहराता है।
  • Design Challenge:- छोटा होने के बाद भी एम्बेडेड सिस्टम को cost, size, power, और performance जैसे मापदंडों को पूरा करना होता है, जिसके कारण इसे डिजाइन करना बहुत ही जटिल काम हो जाता है। आमतौर पर इसे बैटरी के उपयोग से चलाया जाता है, इसी कारण से इसके निर्माता द्वारा बिजली की खपत को भी कम से कम करने का प्रयास किया जाता है जो इसके डिज़ाइन को और मुश्किल बनाता है।
  • Portable :- एम्बेडेड सिस्टम एक छोटा सा उपकरण होता है, जो स्वतंत्र रूप से काम करता है इसलिए यह पोर्टेबल होता है, अर्थात इसे बहुत आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर बिना किसी समस्या के लाया या ले जाया जा सकता है। उदाहरण के लिए मोबाइल फोन एक ऐसा एम्बेडेड सिस्टम है, जिसे लोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक बहुत आसानी से ले जाते हैं। अगर एम्बेडेड सिस्टम किसी बहुत बड़े system का हिस्सा होते हैं, वह सिस्टम भी पोर्टेबल होता है उदाहरण के लिए Car में गाड़ी की गति तथा पैट्रॉल की मात्रा को बताने के लिए उपयोग होने वाला उपकरण एक ऐसा सिस्टम है, जो कार के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाता है।
  • Real time:- एम्बेडेड सिस्टम को बिना किसी देरी के वास्तविक समय में परिणामों की गणना करके output प्रदर्शित करने में सक्षम होना चाहिए।
  • Processor :- इसके पास अपना खुद का एक प्रोसेसर होना चाहिए जो विभिन्न इनपुट को प्रोसेस करके आउटपुट प्रदर्शित कर सके।
  • Memory :- इसके पास अपना खुद का एक मेमोरी यूनिट होना चाहिए जहां यह विभिन्न ने सॉफ्टवेयर को जमा करके रख सके। जैसे की ROM इसे किसी भी प्रकार के सेकेंडरी मेमोरी की आवश्यकता नहीं होती है।
  • Input / output devices :- इसमें विभिन्न स्त्रोतों से इनपुट प्राप्त करने तथा आउटपुट प्रदर्शित करने की कुछ व्यवस्था होनी चाहिए।
  • Battery :- एंबेडेड सिस्टम को पोर्टेबल बनाने के लिए इसमें एक छोटी बैटरी का भी उपयोग किया जाता है, जिससे इसमें आवश्यक इलेक्ट्रिसिटी का प्रवाह होता रहे तथा इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर बिना किसी समस्या के लाया ले जाया जा सके।

Example of Embedded operating system in Hindi

Example of Embedded system in Hindi :- एक बहुत ही महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है। 21वीं शताब्दी में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो एम्बेडेड सिस्टम  की तकनीक का उपयोग अपने रोजमर्रा के जीवन में ना करता हो। आप अपने जीवन में जितने भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करते हैं, उनमें से ज्यादातर उपकरण एम्बेडेड सिस्टम  का ही कोई ना कोई रूप होता है। आइये इसके कुछ प्रमुख उदाहरणों को देखते हैं :-

  • Mobile Phones (मोबाइल फोन)
  • MP3 Players (एमपी 3 प्लेयर्स)
  • Video Game Consoles (वीडियो गेम कंसोल)
  • Digital Cameras (डिजिटल कैमरा)
  • Television/TV (टेलीविजन )
  • CD/DVD Video Player (सीडी / डीवीडी वीडियो प्लेयर)
  • Digital Alarm (डिजिटल अलार्म)
  • Air Conditioner / AC (एयर कंडीशनर)
  • Microwave Ovens (माइक्रोवेव ओवन्स)
  • Washing Machines (वाशिंग मशीन)
  • Dishwashers (डिशवॉशर)
  • Drones (ड्रोन)
  • Industrial Robots (इन्डस्ट्रीअल रोबोट)

Types of Embedded System in Hindi

Types of Embedded System in Hindi:- एम्बेडेड सिस्टम में उपयोग होने वाले हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर के आधार पर इसे तीन महत्वपूर्ण श्रेणियों में बांटा गया है :-

  • Small Scale :- यह सबसे छोटे सिस्टम है जिसे 8 या 16-बिट माइक्रोकंट्रोलर के साथ डिज़ाइन किया जाता है। इसकी क्षमता बहुत ही सीमित होती है तथा इसे ऑपरेट करने के लिए बहुत कम मात्रा में इलेक्ट्रिसिटी की आवश्यकता होती है। इसमें आमतौर पर सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के उपयोग से प्रोग्रामिंग की जाती है।
  • Medium Scale :- इसे 16 या 32-बिट माइक्रोकंट्रोलर्स का उपयोग करके डिज़ाइन किए जाता है। इसे जटिल हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का उपयोग करके बनाया जाता है तथा यह बड़े complex प्रॉब्लम्स को भी सॉल्व करने में सक्षम होते हैं। इनका उपयोग नेटवर्किंग के क्षेत्र में भी किया जा सकता है। इन्हें विकसित करने के लिए C, C ++, Java और जैसे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का उपयोग किया जाता है।
  • Sophisticated :- यह काफी जटिल और उच्च क्षमता वाला एम्बेडेड सिस्टम होता है, जिसमें बहुत सारे हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर जटिलताएं होती है। इनमें application-specific instruction set processor (ASIP), Instructions per second (IPS), programmable logic array (PLA) जैसा उच्च क्षमता वाले प्रोसेसर का उपयोग किया जाता है। यह किसी सिंगल चिप बना हुआ सिस्टम नहीं होता है, बल्कि इसे कई अलग-अलग हार्डवर कॉम्पोनेंट को एक साथ जोड़कर बनाया जाता है तथा इसमें उपयोग होने वाले ऑपरेटिंग सिस्टम भी एक स्वतंत्र और सक्षम ऑपरेटिंग सिस्टम होता है, जो कि विभिन्न प्रकार के जटिल निर्देशों को निष्पादित करने तथा आवश्यक आउटपुट प्रदान करने में सक्षम होता है।

History of Embedded operating system in Hindi

History of embedded operating system in hindi  :- एम्बेडेड कंप्यूटिंग प्रणाली का इतिहास काफी पुराना है, इसे लगभग 60 सालों से उपयोग किया जा रहा है।

  • एम्बेडेड सिस्टम को बनाने का श्रेय Massachusetts Institute of Technology (मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ) या MIT के शिक्षक तथा कंप्यूटर वैज्ञानिक Charles Stark Draper (डॉ चार्ल्स स्टार्क ड्रेपर)  को जाता है। उन्होंने इसे अमेरिका के Space Agency (अंतरिक्ष संस्था)  NASA द्वारा विकसित किए जा रहे चंद्रयान Apollo (अपोलो) के लिए बनाया था। Apollo ही वह पहला चंद्रयान था जिसके उपयोग से चांद पर पहली बार किसी इंसान ने पैर रखा था। अपोलो प्रोग्राम के लिए विकसित किए गए सबसे पहले Embedded Operating Systems का नाम Apollo Guidance Computer (अपोलो गाइडेंस कंप्यूटर)  रखा गया था। अपोलो गाइडेंस कंप्यूटर का मुख्य काम था विभिन्न प्रकार के डाटा को स्वचालित (automatically) रूप से इकट्ठा करके मिशन से संबंधित महत्वपूर्ण गणना प्रदान करना।
  • 1965 में Autonetics (ऑटोनेटिक्स) नाम की कंपनी द्वारा युद्ध में उपयोग होने वाले मिसाइल को मार्गदर्शन प्रदान करने के उद्देश्य से D-17B नाम के सिस्टम को विकसित किया गया। D-17B सिस्टम ऊंचाई, दूरी जैसे विभिन्न मापदंडों की गणना करके मिसाइल को उसके गंतव्य तक पहुंचने में पहुंचने के लिए सही रास्ता दिखाने का काम करता था।
  • 1968 में वाहन की गति, उसमें पेट्रोल की मात्रा तथा अन्य जानकारियों का प्रदर्शन करने के लिए एक एम्बेडेड सिस्टम का निर्माण किया गया था।
  • 1987 में सिस्टम के साथ उपयोग करने के लिए Wind River नाम की कंपनी द्वारा पहला OS बनाया गया जिसका नाम VxWorks था।
  • 1996 में Microsoft कंपनी ने एम्बेडेड सिस्टम के लिए अपना पहला Windows Operating system बनाया।
  • 1990 में एम्बेडेड लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम भी बाजार में आ चुका था।
  • 21वीं शताब्दी में एम्बेडेड सिस्टम लोगों के रोजमर्रा के जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग बन गया है, तथा लगभग सभी डिजिटल उपकरणों में इसका उपयोग किसी न किसी रूप में जरूर होता है।
  • ऐसा अनुमान लगाया गया है कि 2030 तक एंबेडेड सिस्टम का कुल मार्केट $200 billion-dollar (अरब-डॉलर) से भी ज्यादा का हो जाएगा।
Advantages of Embedded System in Hindi
  • इसका आकार छोटा होने के कारण, इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के उपकरणों के साथ किया जा सकता है और बड़ी आसानी से इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया भी जा सकता है।
  • यह बहुत ही तेजी से अपने काम को पूरा करने में सक्षम होता है तथा इसे बहुत ही कम संसाधन जैसे कि electricity आदि की आवश्यकता होती है। इसलिए एक छोटी बैटरी से भी इसका उपयोग लंबे समय तक किया जा सकता है।
  • इसमें इसके द्वारा गलती होने की संभावना बहुत कम होती है क्योंकि इसे जिस विशिष्ट कार्य के लिए डिजाइन किया जाता है, यह केवल उसी काम को कुशलता से करता है।
  • यह सिंगल चिप्स पर बना होता है तथा इसे बनाने में बहुत कम हार्डवेयर कंपोनेंट्स की आवश्यकता होती है, इसलिए इसके निर्माण में बहुत कम खर्च आता है।
  • यह बहुत ही विश्वसनीय उपकरण है, क्योंकि इसमें hardware Failure, सॉफ्टवेयर क्रैश या वायरस अटैक होने की संभावना ना के बराबर होती है।
  • यह बहुत कम संसाधनों का उपयोग करता है और इसे मैनेज करना बहुत आसान है।
  • embedded operating system को केवल एक विशिष्ट काम करने के लिए ही बनाया गया होता है, इसलिए यह उस काम में बहुत अच्छा होता है और बहुत तेजी से अपने काम को पूरा करता है।
Disadvantages of Embedded Operating System in Hindi
  • इस सिस्टम को बहुत सारे छोटे-छोटे उपकरणों के उपयोग से बनाया जाता है, इसलिए इसे विकसित करने की प्रक्रिया काफी जटिल है तथा इसे बनाने के लिए बहुत बड़े विकास प्रणाली की आवश्यकता होती है जिसे स्थापित करने में बहुत अधिक खर्चा आता है। अगर इसका प्रोडक्शन बहुत ही ज्यादा मात्रा में किया जाए तब ही इसके बनने पर आने वाला खर्चे को कम किया जा सकता है।
  • एक बार एम्बेडेड सिस्टम बनकर तैयार हो जाए तो उसे अपग्रेड करना या उसमें कुछ परिवर्तित करना बहुत ही कठिन काम होता है। इसलिए आमतौर पर जब यह खराब हो जाता है तो इसे इसे पूरी तरह replace करना इसे repair करने की तुलना में ज्यादा सस्ता होता है।
  • यह केवल एक विशिष्ट कार्य को करने के लिए बना होता है, इसलिए हम इसे प्रोग्राम करके किसी दूसरे काम को करने के लिए तैयार नहीं कर सकते हैं।
  • इसमें उपयोग किए जाने वाला मेमोरी का आकार बहुत ही सीमित होता है तथा इसमें किसी नए प्रोग्राम को इंस्टॉल करना संभव नहीं होता है।
  • इसमें जमा data को एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम तक ट्रांसफर करना बहुत मुश्किल है, इसलिए इन data का बैकअप लेकर नहीं रखा जा सकता है।
  • इसका उपयोग किसी विशेषज्ञ के द्वारा ही किया जा सकता है, अगर आम इंसान इसे समझना चाहे तो उसके लिए काफी मुश्किल हो सकता है।

Summery of Embedded operating system in Hindi :- इस लेख में हमने एम्बेडेड सिस्टम OS के बारे में सरल हिंदी भाषा में चर्चा किया किया है। उम्मीद है की Embedded System OS in Hindi पर लिखा गया यह लेख आप को पसंद आया होगा। अगर आप एम्बेडेड OS पर लिखे गए इस लेख से संबंधित कोई सुझाव हमें देना चाहते हैं या कोई प्रश्न पूछना चाहते है, तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताएं।

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