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System Analysis

What is Coding in Hindi?

Author: admin | On:19th Nov, 2020 | 354 View

What is Coding in Hindi?

Definition of Coding in Hindi:- किसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज जैसे की C, C++, Java, Python आदि के उपयोग से Program या Software बनाने के लिए लिखे गए निर्देशों को Code (कोड) कहते हैं, और कोड लिखने के इस प्रक्रिया को Coding कहते है।

अगर साधारण शब्दों में कहें तो Program Code कंप्यूटर के साथ संवाद का माध्यम है। Computer का CPU प्रोग्राम कोड के माध्यम से लिखे गए निर्देशों को निष्पादित करके किसी विशिष्ट कार्य को पूरा करता है।




Example:- आप अपने कंप्यूटर में जितने भी सॉफ़्टवेयर जैसे की MS Word, Media player आदि, ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे की Windows, Linux आदि, वेब ब्राउज़र जैसे की google chrome, Firefox आदि, वेबसाइट जैसे की Facebook, yahoo आदि का उपयोग करते है सभी किसी न किसी Programming Language के उपयोग से Coding (कोडिंग) करके ही बनाया जाता है।

coding in hindi
Coding in Hindi

How to do Coding in Hindi:-

  1. Language:- coding करने के सबसे पहले चरण में उपयोगकर्ता को अपनी आवश्यकता के अनुसार किसी एक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का चुनाव करना बहुत आवश्यक है । अलग-अलग प्रकार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न प्रकार के Language उपलब्ध है, उदाहरण के लिए Website बनाने के लिए HTML, XML जैसे Markup Language ( मार्कअप लैंग्वेज ) और Javascript, PHP जैसे Scripting language ( स्क्रिप्टिंग लैंग्वेज ) उपलब्ध है ठीक इसी प्रकार Software बनाने के लिए C, C++, Java जैसे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज उपलब्ध है। इसी तरह statistic और mathematics से सम्बंधित application बनाने के लिए matlab जैसे Language का उपयोग किया जाता है।
  2. Syntax:- जिस तरह से किसी भी सामान्य भाषा को बोलते या लिखते समय व्याकरण के नियमों का पालन करना आवश्यक होता है ठीक उसी प्रकार सभी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज अपने-अपने व्याकरण के नियमों का पालन करता है। इन नियमों को Syntax कहते हैं, किसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के उपयोग से Coding करने के लिए उपयोगकर्ता को उस लैंग्वेज से संबंधित Syntax का ज्ञान अर्जित करना बहुत आवश्यक है। क्योंकि अगर उपयोगकर्ता Coding करते समय Syntax में कोई गलती करता है तो वह Code कभी भी निष्पादित नहीं हो पाएगा और उपयोगकर्ता को उसका मनचाहा Output कभी प्राप्त नहीं होगा।
  3. Keywords:- सभी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में कुछ शब्द या word पहले से ही reserved या आरक्षित होते हैं, इन्हे Keywords (कीवर्ड्स) के नाम से जाना जाता है। coding करने से पहले लोगों का इन Keywords से परिचित होना बहुत आवश्यक है। उदाहरण के लिए c programming में किसी मैसेज को आउटपुट में प्रदर्शित करने के लिए printf नाम के Keywords का उपयोग किया जाता है ठीक उसी प्रकार Java programming में किसी मैसेज को आउटपुट में प्रदर्शित करने के लिए out.println नाम के Keywords का उपयोग किया जाता है। कई प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में किए कीवर्ड्स case sensitive भी होते हैं मतलब कि अगर किसी जगह पर Small Later में सब अक्षरों को लिखना है वहां कोई capital letters में अक्षरों को लिख दे तो इससे Code के निष्पादन में Error आएगा।
  4. Compilers/ Text Editors:- जैसे कि किसी प्रकार की जानकारी या Text को लिखकर Computer में Save करने के लिए MS Word का उपयोग करते हैं। ठीक उसी प्रकार विभिन्न प्रकार के लैंग्वेज को लिखने के लिए अलग-अलग tools का उपयोग किया जाता है जैसे की website से संबंधित Code को लिखने के लिए साधारण Text Editors जैसे कि Notepad का उपयोग किया जा सकता है। C या C++ जैसे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को लिखने के लिए विशेष प्रकार के टूल की आवश्यकता पड़ती है जिसे Compilers कहते हैं, कंपाइलर में हम प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेस के Code को लिख सकते हैं साथ ही यह हमें उस code में मौजूद गलतियों को भी बता देता है जिससे हमें कोडिंग करने में सहायता होती है।





Benefits Of Learning To Code in Hindi:-

  • Can understand Tech in Beater way:- 21वी सदी पूरी तरह से टेक्नोलॉजी पर आधारित सदी है। विभिन्न प्रकार के Digital और Electronic उपकरण लोगों के रोजमर्रा की जिंदगी का एक भाग बन चुके हैं। आज के समय में कोई Internet और Mobile Phones के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है। ऐसे समय में यह बहुत आवश्यक है कि लोग प्रोग्रामिंग लैंग्वेज और कोडिंग से संबंधित ज्ञान अर्जित करें। यह ज्ञान इन टेक्नालॉजिस को ठीक से समझने के लिए बहुत अधिक आवश्यक है।
  • Security:- चूँकि लोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर इतना ज्यादा निर्भर हो चुके हैं, इससे उनके digital जानकारियों पर निजता या Privacy पर एक खतरा उत्पन्न हो गया है। आप भी आज कल रोज नए-नए साइबर क्राइम सम्बंदि न्यूज़ देखते होंगे। समय-समय पर Hacking और  Virus Attack की जो खबरें आती रहती है उसका एक मुख्य कारण यह भी है कि लोग जानकारियों के अभाव में कुछ ऐसी गलती कर बैठते हैं, जिनसे उनके Bank या Credit Card से संबंधित जानकारी गलत लोगों तक पहुंच जाते हैं। जो लोग Coding का ज्ञान रखते हैं, वह इन सुरक्षा संबंधी चीजों को ठीक से समझ पाते हैं और वह जानते हैं कि इन Electronics Device का उपयोग किस प्रकार से करना है।
  • Employments opportunities:- वर्तमान समय में Software Engineer और Programmer का काम दुनिया के सबसे ज्यादा demanding job में से एक है। इस क्षेत्र में इतनी संभावनाएं हैं जितनी 21वीं सदी में किसी भी दूसरे क्षेत्र में नहीं है। सिर्फ भारत में सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री लगभग 200 बिलियन डॉलर का है मतलब कि लगभग 14 लाख करोड रुपए का है। इस छेत्र में software developer,  mobile applications developers, Website developer, game developer, ethical hacker जैसे कई क्षेत्र है जहां कोई भी इंसान अपना भविष्य संवार सकता है। इसके अलावा आजकल corporate और finance के कोर्स जैसे की MBA आदि में भी कंप्यूटर प्रोग्रामिंग से संबंधित शिक्षा दी जाने लगी है। क्योंकि उन्हें भी अपने क्षेत्र में सफल होने के लिए इस डिजिटल दुनिया से अच्छी तरह अवगत होना बहुत आवश्यक है।





Summery on Coding in Hindi:- २१वीं सदी के इस आधुनिक युग में मानव समाज मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप और इंटरनेट जैसे तकनीकों पर पूरी तरह से आश्रित हो चूका है। हमारे रोजमर्रा के साधारण काम भी तकनीक के बिना मुश्किल हो चूका है और धीरे-धीरे मनुष्य के जीवन में तकनीक की उपयोगिता और अधिक बढ़ने वाली है। लेकिन इस तकीनीकी क्रांति में हार्डवेयर के साथ-साथ सॉफ्टवेयर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसी कारण वर्त्तमान एवं भविष्य की मांग को देखते हुए हमें सॉफ्टवेयर विकास या सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के लिए सबसे आवश्यक प्रक्रिया कोडिंग को महत्त्व देना होगा।

किसी भी सॉफ्टवेयर उत्पाद के लिए प्रोग्रामिंग लैंग्वेज जैसे की सी, सी प्लस प्लस, जावा, पाइथन, जावास्क्रिप्ट, पी एच पी आदि का उपयोग करके Source Code लिखने की प्रक्रिया को कोडिंग कहते है। कोडिंग एक जटिल प्रक्रिया है जिसके लिए बहुत अधिक समझ और अनुभव की जरुरत होती है इस काम को करने वाले लोगों को software developer or software engineer के नाम से जाना जाता है, संछेप में इन्हें coder (कोडर) या programmer (प्रोग्रामर) जैसे नामों से भी संबोधित किया जाता है।

इस लेख में हमने कोडिंग को सरल हिंदी भाषा में समझाने का प्रयास किया है। उम्मीद है कि Coding in Hindi का यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आप कोडिंग पर लिखे गए इस लेख से संबंधित कोई सुझाव हमें देना चाहते हैं या कोई प्रश्न पूछना चाहते है, तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताएं।

What is Software Engineering in Hindi?

Author: admin | On:19th Nov, 2020 | 635 View

What is Software Engineering in Hindi?

Software engineering ( सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग ) दो शब्दों से मिलकर बना है

  1. Software निर्देश (instructions) से मिलकर बना एक या कई program का एक समूह होता है, इसका उपयोग कंप्यूटर में किसी विशेष काम को पूरा करने के लिए किया जाता है।
  2. Engineering:- science और technology की एक शाखा है जिसमे किसी समस्याओं का प्रभावी समाधान ढूंढ़ने के लिए नए उत्पाद डिजाइन करना और उन्हें बनाने की प्रक्रिया होती है।





Definition of Software Engineering in Hindi:- सॉफ़्टवेयर इंजीनियरिंग उपयोगकर्ता के आवश्यकताओं का विश्लेषण करके एक सॉफ्टवेयर सिस्टम विकसित करने की प्रक्रिया है। सॉफ़्टवेयर इंजीनियरिंग की प्रक्रिया को निम्नलिखित चरणों में पूरा किया जाता है :-

  • Designing:- इस चरण में सॉफ्टवेयर सिस्टम के लिए Flowchart (फ़्लोचार्ट) डिज़ाइन और algorithm आदि तैयार किया जाता है।
  • Manufacturing:- इस चरण में programming language जैसे की C, C++, Java, Python आदि के मदद से सॉफ्टवेयर का सोर्स कोड लिखा जाता है।
  • Testing:- इस चरण में प्रोग्राम में मौजूद त्रुटियों (Errors) की जांच की जाती है और अगर कोई त्रुटि मौजूद हो तो उसे ठीक किया जाता है।
  • Operation and Maintenance:- इस चरण में प्रोग्राम के संचालन और रखरखाव के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण प्रदान किया जाता है।
Software Engineering in Hindi
Software Engineering in Hindi

Objectives of Software Engineering in Hindi

Objectives of Software Engineering in Hindi:- सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का मूल उद्देश्य सॉफ्टवेयर विकास के लिए ऐसे तरीकों और प्रक्रियाओं को विकसित करना है, जिसका उपयोग करके कम लागत और कम समय में उच्च गुणवत्ता वाले सॉफ़्टवेयर का उत्पादन किया जा सकता है। इसके अलावा सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के कुछ प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित रुप से हैं:-



  • सॉफ्टवेयर उत्पाद उपयोगकर्ताओं के आवश्यकता को सही ढंग से पूरा करना चाहिए।
  • ग्राहक के बदलते आवश्यकताओं के अनुसार सॉफ्टवेयर उत्पाद में आसानी से परिवर्तन करने या नए विशेषताएँ को जोड़ना की व्यवस्था होनी चाहिए।
  • अगर सॉफ्टवेयर को एक कंप्यूटर सिस्टम या पर्यावरण से दूसरे में स्थानांतरित करना हो तो इसमें कोई error नहीं होना चाहिए।
  • किसी भी प्रकार के unauthorized access ( अनाधिकृत पहुंच ), या Virus attack जैसे समस्याओं से सॉफ्टवेयर को सुरक्षा उपलब्ध कराना चाहिए।
  • हार्डवेयर विफलता या किसी अन्य समस्या के कारण अगर कंप्यूटर खराब हो जाए तो ऐसी परिस्थिति में सॉफ्टवेयर को data के साथ पुनः प्राप्त करने योग्य होना चाहिए।

History of Software Engineering in Hindi:- पहला डिजिटल कंप्यूटर 1940 के दशक की शुरुआत में आ गया था पर उस समय कंप्यूटर को संचालित करने के instructions ( निर्देशों ) को मशीन में जोड़ा  गया था। फिर 1950 के दशक की शुरुआत में  Fortran, ALGOL, और COBOL जैसे  Programming languages भी आ चुकी थी, और अब उपयोगकर्ता प्रोग्राम के माध्यम से कंप्यूटर को निर्देश दे सकता था।

लेकिन जब 1960 के दशक में बड़े, जटिल सॉफ्टवेयर प्रणालियों को विकसित किया जाने लगा तो सॉफ्टवेयर विकास के लिए कोई विश्वसनीय मापदंड न होने के कारण कई प्रकार की समस्या उत्पन्न हुई। इन्हीं समस्याओं को ठीक करने के लिए 1968 और 1969 के दशक में NATO द्वारा आयोजित सम्मेलनों में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के मापदंड को अपनाने का सुझाव दिया गया।

Need for Software Engineering in Hindi

  • वर्तमान समय का सॉफ्टवेयर प्रणाली बहुत ही बड़ा और जटिल हो गया है। इन्हें विकसित करने के लिए बहुत अधिक प्रोग्रामिंग कोड (Code) लिखना पड़ता है, जिनका प्रबंधन करने के लिए उचित कार्यनीति (proper strategy) की आवश्यकता होती है।
  • सॉफ्टवेयर विकास की प्रक्रिया बहुत महंगा है, इसलिए संसाधनों का कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए सॉफ़्टवेयर इंजीनियरिंग की आवश्यकता होती है।
  • बाजार की बदलती आवश्यकताओं के अनुसार ग्राहक की आवश्यकताएं भी बदलती रहती है, इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि बनाया गया सॉफ़्टवेयर उत्पाद वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग विचारों पर आधारित हो ताकि किसी भी समय आवश्यकताओं के अनुसार उनमें परिवर्तन करके या नई सुविधाओं को जोड़कर बाजार की जरूरतों को पूरा किया जा सके।
  • सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग ऐसी तकनीक उपलब्ध करवाता है, जिससे कि Development और Testing के बहुत सारे काम को स्वचालित (Automatic) किया जा सके। इसलिए यह विकास की प्रक्रिया में लगने वाले समय और पैसे को बचाती है।
  • सॉफ्टवेयर विकास की बेहतर प्रक्रिया एक विश्वसनीय और उच्च-गुणवत्तापूर्ण वाले सॉफ्टवेयर उत्पाद प्रदान करती है। इसलिए Quality Management (गुणवत्ता प्रबंधन) के लिए भी इसका उपयोग आवश्यक है।

Advantages and Disadvantages of Software Engineering in Hindi

Advantages of Software Engineering in Hindi:-



  • Reduces complexity:- किसी बड़े सॉफ्टवेयर प्रणाली को विकसित करना जटिल और चुनौतीपूर्ण काम होता है। इसलिए सॉफ्टवेयर विकसित करने से पहले एक कुशल कार्यनीति बनाने की आवश्यकता होती है और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग जटिल समस्याओं के समाधान के लिए कुशल कार्यनीति बनाने में सहायता करता है। सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग बड़ी समस्याओं को छोटे मुद्दों में विभाजित करता है, फिर एक-एक करके सभी छोटी समस्याओं को स्वतंत्र रूप से हल करता है।
  • Minimize software cost :- किसी बड़े सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट को विकसित करने के लिए बहुत अधिक Programming Code लिखना पड़ता है, जिसमें बहुत श्रमशक्ति की आवश्यकता होती है और Software Developer अत्यधिक भुगतान वाले विशेषज्ञ होते हैं। इस प्रकार विकास के प्रक्रिया में लगने वाले अनावश्यक समय से उत्पाद के लागत पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ सकते हैं। सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के माध्यम से सॉफ्टवेयर के source code और modules को दुबारा उपयोग करने योग्य बनाया जाता है जिससे की विकास के प्रक्रिया में लगने समय और लगत कम हो जाता है।
  • Decrease time :- कुछ भी प्रोजेक्ट को अगर योजनाबद्ध पद्धति से ना बनाया जाए तो हमेशा समय बर्बाद होता है और Software Engineering विकास परियोजना के दौरान एक योजनाबद्ध पद्धति प्रदान करता है जिससे समय की बचत होती है।
  • Extensible:- समय के साथ-साथ ग्राहक की आवश्यकताएं भी बदलती रहती है, ऐसे में सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट में समय-समय पर परिवर्तन करके नए update लाने की आवश्यकता पड़ती है। software developer आसानी से Update करने योग्य कुशल उत्पाद बनाने में सहायता करता है।
  • Reliable software:- एक आदर्श सॉफ्टवेयर को Hacking और Virus Attack से सुरक्षित होना चाहिए, तथा इसे उन कामों को करने में समर्थ होना चाहिए जो इसे दिया गया हो। सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के पूरे चक्र में सॉफ्टवेयर के रखरखाव और इसमें आने वाले सुरक्षा संबंधित समस्याओं को पूरे जिम्मेदारी से ठीक किया जाता है।

Disadvantages of Software Engineering in Hindi:-

  • Stressful Work:- सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की प्रक्रिया काफ़ी जटिल होती है जो कई अलग-अलग चरणों से होकर गुजरती है, इसी कारण जिन software developer के द्वारा इन कामों को किया जाता है उनकी दिनचर्या बहुत ही चुनौतीपूर्ण एवं तनावपूर्ण हो जाता है । कई बार सुबह को उठने से लेकर रात को सोने तक लगातार समस्याओं और उनके समाधानों के बारे में सोचना पढ़ता है। इतना ही नहीं भारत के सॉफ्टवेयर कंपनियों में overtime काम का दबाव बहुत आम सी बात है।
  • frequently updating market:- टेक्नोलॉजी की दुनिया तेज़ी से बदल जाती है। हर रोज इसमें कुछ नया अपडेट आते ही रहता है। इसी कारण सॉफ्टवेयर डेवलपर को लगातार नए-नए तकनीकों के बारे में पढ़ना पड़ता है और नए-नए skills सीखना पड़ता है। हर प्रोजेक्ट की अपनी अलग requirement होती है जिसके अनुसार डेवलपर को अपने skill update करना पढ़ता है। इसी कारण उनका जीवन और अधिक कठिन और चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
  • Negative effects on health:- सॉफ्टवेयर डेवलपर को तनावपूर्ण दिनचर्या जीने के साथ-साथ दिन भर कंप्यूटर के सामने बैठकर रहना पढ़ता है। इन गतिविधियों का उनके स्वस्थ पर बहुत ही नकारात्मक असर पढ़ता है। नींद न आना या आँखों में तकलीफ़ तो बहुत ही आम सी बात है।
  • Corporate Pressure:- सॉफ्टवेयर कंपनी और संगठनों को मैनेज करने वाले लोगों को सॉफ्टवेयर निर्माण से संबंद्धित जटिलताओं का ठीक से अनुमान नहीं होता ये लोग सॉफ्टवेयर डेवलपर पर अत्यदिक दबाब बनते है।





Summary of Software Engineering in Hindi:- 21वीं शताब्दी को कंप्यूटर और तकनीक का युग कहा जाता है, इस आधुनिक युग में मनुष्य अपने रोजमर्रा के कामों के लिए भी इलेक्ट्रॉनिक मशीनों और टेक्नोलॉजी के नए-नए आविष्कारों पर आश्रित हो चुका है। लेकिन जैसा की आप सब जानते है कोई भी तकनीक के काम करने के लिए हार्डवेयर के साथ-साथ सॉफ्टवेयर भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि कोई भी हार्डवेयर स्वतंत्र रूप से उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकती इसलिए उन्हें सॉफ्टवेयर के साथ मिलकर ही काम करना होता है। इसी कारण सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग एक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं क्रांतिकारी प्रोफेशन है, जो मनुष्य के जीवन के  से संबंधित रोजमर्रा के समस्या को हल करने के साथ ही, विभिन्न बिजनेस ऑर्गेनाइजेशन के कामों को आसान बनाने में बहुत ही अधिक मददगार सिद्ध हुआ है।

उदाहरण के लिए आज के समय पर चाहे किसी जानकारी को मिनटों में इंटरनेट के मदद से ढूंढना हो या घर बैठे किसी वेबसाइट से सामान को खरीदना हो या फिर किसी मोबाइल एप्लीकेशन की मदद से गाने सुनना या वीडियो देखना यह सभी सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का ही कमाल है। इस रोमांचक एवं तेज़ी से परिवर्तनशील पेशे में बाज़ार की बदलती जरुरत के अनुसार नए-नए परिवर्तन होते रहते है।

इसमें रोज़गार की कोई कमी नहीं है क्योंकि सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का काम किसी भी देश के भौगोलिक सीमा पर आधारित नहीं है अर्थात कोई भी इंसान किसी भी देश में बैठकर इस काम को कर सकता है। आपको जानकर काफी गर्व होगा कि हमारा भारत देश भी सॉफ्टवेयर निर्माण के क्षेत्र में बहुत आगे निकल चुका है और हमारा कुल सॉफ्टवेयर निर्यात 50 बिलियन डॉलर का है अर्थात और यह क्षेत्र लाखों भारतीयों को रोजगार प्रदान करता है और हमारे देश की अर्थव्यवस्था में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इस लेख में हमने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग को सरल हिंदी भाषा में समझाने का प्रयास किया है। उम्मीद है कि Software Engineering  in Hindi का यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आप सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग पर लिखे गए इस लेख से संबंधित कोई सुझाव हमें देना चाहते हैं या कोई प्रश्न पूछना चाहते है, तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताएं।

Scrum Framework in Hindi

Author: admin | On:4th Nov, 2020 | 978 View

Scrum Framework in Hindi

Scrum in Software Engineering in Hindi :- स्क्रम किसी सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट को मैनेज करने के लिए उपयोग किया जाने वाला फ्रेमवर्क है। इसका उपयोग आमतौर पर किसी सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट को कम समय में जल्दी से जल्दी पूरा करने के लिए किया जाता है। इसमें प्रोजेक्ट निर्माण की प्रक्रिया को कई अलग-अलग चरणों में विभाजित कर दिया जाता है और इसके शुरुआती चरणों में प्रोजेक्ट से संबंधित जितनी जानकारियाँ ज्ञात है, उसपर काम किया जाता है, फिर बाद में जैसे-जैसे आगे की जानकारियाँ मिलती जाती है वैसे-वैसे निर्माण के काम को आगे बढ़ाया जाता है।



Features of Scrum Framework in Hindi

  • स्क्रम एक लाइटवेट फ्रेमवर्क है जिसके कारण इसके उपयोग से बनाए गए उत्पाद काफ़ी तेज़ी से काम करता है।
  • इसे उपयोग करना काफ़ी सरल है मतलब इसके संरचना को आसानी से समझा जा सकता है।
  • यह एक साथ बहुत सारे लोगों को टीम बनाकर काम करने की सुविधा प्रदान करता है।
  • इसमें प्रोजेक्ट निर्माण के काम को कई अलग-अलग चरणों में विभाजित कर दिया जाता है, इन प्रत्येक चरण को sprint के नाम से जाना जाता है।
  • आमतौर पर स्क्रैम परियोजना में शामिल सभी सदस्य हर रोज के काम को शुरू करने से पहले एक meeting करते है और आपस में यह चर्चा करते है की उस दिन के काम को कैसे आगे बढ़ाना है।

History of Scrum framework in Hindi:- सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के लिए स्क्रम फ्रेमवर्क की अवधारणा सबसे पहले 1986 में Hirotaka Takeuchi (हिरोताका टेकूची) और Ikujiro Nonaka (इकुजीरो नोनाका) नाम के दो कंप्यूटर वैज्ञानिकों ने की थी। हिरोताका और इकुजीरो ने अमेरिका के Harvard University में प्रकाशित एक पत्रिका “द हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू” में “The New Product Development Game” (द न्यू प्रोडक्ट डेवलपमेंट गेम) शीर्षक से एक लेख लिखा। इसी लेख के आधार पर Scrum Framework का विकास किया गया था । स्क्रम फ्रेमवर्क, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के लिए Agile Model पर आधारित है, इसी कारण स्क्रम को Agile Scrum के नाम से भी जाना जाता है।



Advantages and Disadvantage of Scrum Framework in Hindi 

Advantages of Scrum in Software Engineering in Hindi :-

  • इसकी मदद से सॉफ्टवेयर को जल्दी से बना कर तैयार किया जा सकता है।
  • यह ग्राहक की संतुष्टि के स्तर को बढ़ाता है क्योंकि इसमें ग्राहक की आवश्यकता के अनुसार प्रोजेक्ट समय से बनकर तैयार हो जाता है।
  • इसमें प्रोजेक्ट के निर्माण को कई अलग-अलग चरणों में विभाजित कर दिया जाता है जिससे निर्माण की प्रक्रिया आसान हो जाती है।
  • इसमें पूरे प्रोजेक्ट के निर्माण की निगरानी माइक्रोमैनेजर के द्वारा की जाती है, इसी कारण अगर किसी भी समय सॉफ्टवेयर इंजीनियर कोई गलती करता है या उन्हें किसी निर्देश की आवश्यकता होती है तो माइक्रोमैनेजर उनकी सहायता के लिए तैयार रहते हैं।
  • इसमें प्रोजेक्ट के काम को प्रारंभ करने से पहले हर रोज एक छोटा सा मीटिंग किया जाता है, जिसमें सभी सदस्य आपस में मिलकर उस दिन के काम से संबंधित योजना बनाते हैं।

Disadvantage of Using Scrum framework in Hindi :-

  • इस तरह के प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए अनुभवी सॉफ्टवेयर इंजीनियर की आवश्यकता के टीम की आवश्यकता होती है किसी नए या कम अनुभवी डेवलपर्स के लिए इस तरह के प्रोजेक्ट में काम करना संभव नहीं है।
  • इस तरह के प्रोजेक्ट का बजट बहुत ज्यादा हो सकता है, क्योंकि इसके निर्माण में काम करने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर की वेतन बहुत अधिक होता है।
  • इस तरह के प्रोजेक्ट को बहुत ही कम समय में जल्दी से पूरा किया जाता है, इसलिए इसमें गलती होने की संभावना भी रहती है।
  • इसमें टीम के किसी एक सदस्य के अनुपस्थित रहने पर या प्रोजेक्ट को छोड़कर चले जाने पर निर्माण की प्रक्रिया बहुत बुरी तरह से प्रभावित होती है।
  • इसमें सिस्टम एनालिस्ट द्वारा डॉक्यूमेंटेशन की प्रक्रिया ज्यादा नहीं की जाती है और प्रोजेक्ट निर्माण की जिम्मेदारी पूरी तरह से सॉफ्टवेयर इंजीनियर और माइक्रोमैनेजर के ऊपर होती है। माइक्रोमैनेजर ही सॉफ्टवेयर इंजीनियर को प्रबंधित करते हैं। अगर किसी दिन माइक्रोमैनेजर अनुपस्थित रहे या माइक्रोमैनेजर अपने काम को ठीक से करने में असफल हो जाए तो प्रोजेक्ट फेल हो सकता है।
  • इसमें अगर थोड़े समय के बाद ग्राहक की आवश्यकता बदल जाए या तो कुछ समय के बाद प्रोजेक्ट में कुछ नया परिवर्तन करना हो तो यह संभव नहीं।





Summery of Scrum in Hindi:- scrum सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट फ्रेमवर्क के उपयोग से किसी प्रोजेक्ट के निर्माण को कम समय में teams work की मदद से पूरा किया जा सकता है। जब budget की कोई समस्या न हो और ग्राहक सॉफ्टवेयर को जल्दी से जल्दी बनाकर माँगता हो तब ही स्क्रम फ्रेमवर्क का उपयोग करना चाहिए।

इस लेख में हमने  स्क्रम फ्रेमवर्क को सरल हिंदी भाषा में समझाने का प्रयास किया है। उम्मीद है कि SCRUM in Software Engineering in Hindi का यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आप Scrum Framework पर लिखे गए इस लेख से संबंधित कोई सुझाव हमें देना चाहते हैं, तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताएं जिससे कि हम अपने लेख में आवश्यक परिवर्तन करके इसे और अधिक उपयोगी बना सके।

What is Feasibility Study in Hindi?

Author: admin | On:4th Nov, 2020 | 1020 View

What is Feasibility Study in Hindi?

Definition of Feasibility Study in Software Engineering Hindi :- फीज़ेबिलिटी शब्द का हिंदी में अर्थ व्यवहार्यता या संभाव्यता होता है अर्थात यह किसी काम के सफल होने की संभावना से सम्बंधित है। सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में Feasibility Study के अंतर्गत इस बात का अध्ययन किया जाता है की किसी सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट के असफल या फेल होने के कौन-कौन से कारण हो सकते है  अर्थात वह सभी संभावनाएं जो किसी सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट को असफल बना सकती है, उनका अध्ययन फीज़ेबिलिटी स्टडी के अंतर्गत किया जाता है।




Feasibility study की प्रक्रिया को सॉफ्टवेयर इंजीनियर के द्वारा कोडिंग की प्रक्रिया को शुरू करने से पहले ही System Analyst के टीम के द्वारा किया जाता है एवं इस बात का अनुमान लगाने का प्रयास किया जाता है कि वह कौन से कारण है जो इस विशिष्ट परियोजना को असफल बना सकती है। यह एक सफल सॉफ्टवेयर परियोजना के निर्माण में बहुत अधिक मददगार चरण होता है।

Who will conduct feasibility study In Hindi (फीज़ेबिलिटी स्टडी की प्रक्रिया को किसके द्वारा किया जाता है?):- फीज़ेबिलिटी स्टडी की प्रक्रिया को आमतौर पर System Analyst (सिस्टम एनालिस्ट) के द्वारा किया जाता है। लेकिन कई बार आवश्यकता पड़ने पर इसमें सॉफ्टवेयर इंजीनियर अर्थात कोडर, प्रोजेक्ट मैनेजर, सॉफ्टवेयर टेस्टर, ग्राहक एवं ग्राहक के कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी जो सॉफ्टवेयर उत्पाद पर काम करने वाले हैं उन्हें भी शामिल किया जाता है। किस प्रोजेक्ट सफलता के लिए यह बहुत आवश्यक है की फीज़ेबिलिटी स्टडी के सभी रूपों का ही प्रोजेक्ट निर्माण से पहले ही पालन किया जाए अन्यथा बहुत सारा पैसा एवं समय बर्बाद हो सकता है।

When to do Feasibility study In Hindi (फीज़ेबिलिटी स्टडी की प्रक्रिया को कब किया जाता है?):- फीज़ेबिलिटी स्टडी की प्रक्रिया को Software Development Life Cycle (SDLC) के दूसरे चरण के दौरान किया जाता है। सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट लाइफ साइकिल के पहले चरण में ग्राहक के जरूरतों को इकठा किया जाता है, इसके बाद ही फीज़ेबिलिटी स्टडी की प्रक्रिया को किया जाता है।

Types of Feasibility Study in Hindi

Types of Feasibility Study in Hindi:- फीज़ेबिलिटी स्टडी के कुछ प्रमुख रूप निम्नलिखित रूप से है :-

  1. Technical feasibility :- टेक्नीकल फीज़ेबिलिटी के अंतर्गत यह मूल्यांकन किया जाता है की जिस प्रस्तावित प्रणाली का निर्माण किया जा रहा है उसे वर्तमान स्तर के तकनीकी संसाधनों का उपयोग करके बनाया जा सकता है की नहीं। इसमें हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, प्रोग्रामिंग लैंग्वेज जैसे प्रोजेक्ट निर्माण के लिए उपयोग होने वाले सभी तकनीकों का विश्लेषण किया जाता है और यह मूल्यांकन किया जाता है की प्रोजेक्ट के डेवलपमेंट एवं इम्प्लीमेंटेशन के लिए चुने गए सभी तकनीकी संसाधन प्रोजेक्ट की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है या नहीं।
  2. Economic feasibility :- इकोनॉमिक फीज़ेबिलिटी के अंतर्गत यह मूल्यांकन किया जाता है की सॉफ्टवेयर परियोजना के विकास, कार्यान्वय एवं परिचालन पर जो खर्च आने वाला है, वह संगठन द्वारा आवंटित बजट के अंदर है या नहीं। इसमें सॉफ्टवेयर के निर्माण के लिए जिन तकनीकों का उपयोग किया जायेगा उनका मूल्य, सॉफ्टवेयर इंजीनियर एवं प्रोजेक्ट के जुड़े हुए सभी कर्मचारियों का खर्च, सॉफ्टवेयर को इनस्टॉल करने के लिए उपयोग होने वाले हार्डवेयर एवं अन्य मशीनों का खर्च सबका विस्तृत विश्लेषण किया जाता है।
  3. Behavioural feasibility :- बेहवियरल फीज़ेबिलिटी के अंतर्गत ग्राहक एवं ग्राहक के संगठन में काम करने वाले कर्मचारी जो इस सॉफ्टवेयर प्रणाली का उपयोग करेंगे उनके दृष्टिकोण या व्यवहार का मूल्यांकन करके यह अनुमान लगाया जाता है कि कर्मचारियों की योग्यता कैसी है, उन्हें नए सॉफ्टवेयर प्रणाली का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है या नहीं। इसके साथ ही बेहवियरल फीज़ेबिलिटी में यह निर्धारित करने का प्रयास किया जाता है की नए प्रणाली से ग्राहक के वर्तमान व्यवसायिक पद्धति पर कोई दुष्प्रभाव तो नहीं पड़ेगा ।
  4. Operational Feasibility:- ऑपरेशनल फिजिबिलिटी इस बात का विश्लेषण किया जाता है की प्रस्तावित सॉफ्टवेयर प्रणाली कितनी अच्छी तरह से ग्राहक की समस्याओं को हल करती है और ग्राहक के संगठन की जिन आवश्यकताओं की पहचान की गई थी प्रस्तावित सॉफ्टवेयर प्रणाली उन सभी आवश्यकताओं का समाधान करने में सक्षम है या नहीं।
  5. Legal feasibility :- लीगल फीज़ेबिलिटी के अंतर्गत यह आकलन किया जाता है कि प्रस्तावित सॉफ्टवेयर परियोजना सभी प्रकार से घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय कानूनी नियमों का ठीक से समर्थन करता हो एवं किसी भी कानूनी नियमों का उल्लंघन ना करता हो। इसमें ग्राहक की आवश्यकता एवं प्रस्तावित प्रोजेक्ट का कानूनी दृष्टिकोण से विश्लेषण किया जाता है तथा यह सुनिश्चित कर लिया जाता है कि इस प्रोजेक्ट के निर्माण से किसी भी प्रकार की कानूनी नियमों का उल्लंघन ना होता हो।
  6. Time feasibility :- किसी भी सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट को तभी सफल माना जाता है अगर वह सही समय पर बनकर उपलब्ध हो। अगर प्रोजेक्ट सही समय पर बनकर तैयार ना हो पाए या प्रोजेक्ट के निर्माण में ज्यादा समय लग जाए तो कई बार ग्राहक की आवश्यकताएं ही बदल जाए या ग्राहक के लिए इस प्रोजेक्ट का कोई उपयोग ही नहीं रह जाता। ऐसी अवस्था में पूरा प्रोजेक्ट ही फेल हो जाता है। इसलिए Time feasibility के अंतर्गत इस बात का विश्लेषण किया जाता है कि क्या यह सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट सही समय पर बनकर तैयार हो पायेगा या नहीं एवं प्रोजेक्ट के निर्माण में जो समय लगेगा उस समय के बीच ग्राहक की आवश्यकता में कोई परिवर्तन तो नहीं हो जाएगा।




Advantages and Disadvantages of Feasibility Study in Software Engineering Hindi

Advantages of Doing Feasibility Study in Hindi:-

  • वह सभी कारण जो किसी सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट को सफल बना सकते हैं, उन्हें प्रोजेक्ट निर्माण की प्रक्रिया को शुरू करने से पहले ही दूर करने में मदद करता है।
  • यह किसी परियोजना से जुड़े हुए सदस्यों को महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मदद करता है।
  • यह प्रोजेक्ट से जुड़े हुए सभी सदस्यों की एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करता है।
  • यह प्रोजेक्ट में छुपे हुए नए अवसरों की पहचान करने में मदद करता है।
  • यह भविष्य में पैदा हो सकने वाले कानूनी दिक्कतों से पहले ही सावधान कर देता है।
  • प्रोजेक्ट एवं व्यापार संबंधी सभी संभव विकल्पों को ढूंढने में मदद करता है।

Disadvantages of Doing Feasibility Study in Hindi:-

  • प्रोजेक्ट निर्माण में इस चरण को जोड़ने के कारण प्रोजेक्ट डेवलपमेंट में लगने वाला समय एवं लागत बढ़ जाता है ।
  • प्रोजेक्ट निर्माण के काम को शुरू करने से पहले ही सभी प्रकार के खतरों का पता लगाना या उनका अनुमान लगाना बहुत ही कठिन प्रक्रिया है और ऐसा आवश्यक नहीं कि सभी संभावित खतरों का पहले ही पता चल जाए। कई बार फीज़ेबिलिटी स्टडी के चरणों को करने के बाद भी प्रोजेक्ट निर्माण की प्रक्रिया के दौरान कई और समस्याएं उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण परियोजना असफल हो जाता है।





Conclusion on Feasibility Study in Hindi:- सॉफ्टवेयर परियोजना के निर्माण की प्रक्रिया कई अलग-अलग जटिल चरणों से होकर गुजरती है, जिनमें काफी अधिक समय, प्रयास एवं पैसों का निवेश करना पड़ता है। इतने अधिक परिश्रम एवं पैसों को खर्च करने के बाद भी अगर कोई सॉफ्टवेयर परियोजना असफल हो जाए तो इसमें बहुत अधिक नुकसान होता है। इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि किसी सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट के निर्माण को शुरू करने से पहले योजना से संबंधित सभी कारण जो उसे असफल बना सकती है उनका गहराई से विश्लेषण कर लिया जाए जिससे कि प्रोजेक्ट को असफल बनाने वाले सभी कारणों को पहले ही समाधान ढूंढा जा सके। इसी कारण फीज़ेबिलिटी स्टडी एक बहुत ही महत्वपूर्ण चरण है, जिसे किसी भी सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट को बनाने से पहले किया जाता है।

इस लेख में हमने फीज़ेबिलिटी स्टडी को सरल हिंदी भाषा में समझाने का प्रयास किया है, उम्मीद है कि Feasibility Study in Software Engineering Hindi   का यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आप इस लेख से संबंधित कोई सुझाव हमें देना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताएं, जिससे कि हम अपने लेख में आवश्यक परिवर्तन करके इसे और अधिक उपयोगी बना सकें।

What is Spiral Model in Hindi

Author: admin | On:5th Nov, 2020 | 683 View

What is Spiral Model in Hindi

Definition of Spiral Model in Software Engineering in Hindi:- स्पाइरल मॉडल Software Development Life Cycle (सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट लाइफ साइकिल) या SDLC के अंतर्गत आने वाला सॉफ्टवेयर विकसित करने की एक पद्धिति है, जिसका उपयोग सॉफ्टवेयर परियोजनाओं को विकसित करने के लिए किया जाता है। यह किसी दिए गए प्रोजेक्ट के अनूठे पैटर्न के आधार पर, Risk Handling में सहायता प्रदान करता है। इस मॉडल का वर्णन पहली बार Barry Boehm ( बैरी बोहम ) ने अपने 1986 में किया था।




सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में Spiral Model मुख्य रूप से waterfall model और iterative model का एक संयोजन है। इसमें सॉफ्टवेयर निर्माण के काम को कई अलग अलग चरणों में बाँट दिया जाता है। इसमें बड़े सॉफ़्टवेयर का एक छोटा प्रोटोटाइप बनाकर ग्राहक को समीक्षा के लिए दिया जाता है। फिर दूसरे चरण में उसी प्रोटोटाइप पर काम शुरू कर के दोहराया जाता है और प्रत्येक चरण के अंत में ग्राहक को समीक्षा के लिए एक अधिक विकसित प्रोटोटाइप दिया जाता है। इस प्रक्रिया को तब तक दोहराया जाता है जब तक की संपूर्ण सॉफ्टवेयर का निर्माण न हो जाए। Spiral Model का उपयोग उन बड़ी परियोजनाओं के लिए किया जाता है जिसमें निरंतर वृद्धि की आवश्यकता होती है।

Phases of Spiral Model in Hindi

Spiral Model Phases in Hindi:- स्पाइरल मॉडल में सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के प्रत्येक पुनरावृत्तियों को 4 Phases से होकर गुजरा जाता है, वह 4 फेस निम्नलिखित है।

  • Planning:- सिस्टम विश्लेषक और ग्राहक के बीच निरंतर संचार से आवश्यकताओं को ग्राहक से इकट्ठा किया जाता है। उसके बाद संसाधनों का आकलन , पुनरावृत्ति के लिए लागत का विश्लेषण किया जाता है।
  • Risk Analysis:- इस भाग में सभी संभावित समाधानों का मूल्यांकन करके सबसे सर्वोत्तम संभव समाधान का चयन किया जाता है फिर उस समाधान से जुड़े जोखिमों की पहचान की जाती है और संभव रणनीति का उपयोग करके जोखिमों को हल करने की योजना बनाई जाती है और अंतिम रूप दिया जाता है।
  • Engineering:- इस भाग में सॉफ्टवेयर डेवलपर द्वारा कोड लिखकर software का निर्माण किया जाता है उसके बाद सॉफ्टवेयर का परीक्षण करके ग्राहक को दे दिया जाता है।
  • Evaluation:- इस भाग में ग्राहक द्वारा सॉफ्टवेयर का मूल्यांकन किया जाता है । अगले चरण की योजना भी इसी भाग में शुरू की जाती है।

Spiral Methodology का उपयोग किस प्रकार के project के लिए किया जाना चाहिए ?

  • जब प्रोजेक्ट बहुत बड़ा हो मतलब उसके निर्माण में काफी समय लगने वाला है।
  • जब मुख्य सॉफ्टवेयर के निर्माण से पहले एक छोटे प्रोटोटाइप का निर्माण किया जाना हो।
  • जब project में जोखिम ( risk ) बहुत अधिक हो।
  • जब ग्राहक की आवश्यकताएं अस्पष्ट और जटिल हो।
  • जब ग्राहक की बदलती आवश्यकताओं के अनुसार किसी भी समय project में परिवर्तन की आवश्यकता होती हो ।
  • जब ग्राहक से feedback (फीडबैक) लेकर उत्पाद में नए विशेषताओं को जोड़ने या Update करने की आवश्यकता हो।

Advantages of Spiral Model in Hindi:-

  • कई अज्ञात जोखिम वाली परियोजना के लिए हर चरण में जोखिम विश्लेषण और जोखिम से निपटने के कारण Spiral Model सबसे अच्छा विकास मॉडल है।
  • ग्राहक के बदलते आवश्यकता के अनुसार बाद के चरण में भी आसानी से परिवर्तन किया जा सकता है।
  • छोटे टुकड़ों में प्रोटोटाइप का निर्माण पहले ही चरण में कर लिए जाता है इसी लिए मुख्य project में लगने वाले कुल लागत का अनुमान लगाना आसान हो जाता है।
  • इसमें एरर हैंडलिंग (error handling) पर विशेष ध्यान दिया जाता है तथा विकास के प्रत्येक चरण में परीक्षण के माध्यम से संभावित त्रुटियों को दूर करके उत्पाद को सुरक्षित बनाने का प्रयास किया जाता है।
  • इसे सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट लाइफ साइकिल के दो अलग-अलग मॉडल (वॉटरफॉल मॉडल और एक्टिव मॉडल) को आपस में मिलाकर बनाया गया है अर्थात इसमें हम दो अलग-अलग मॉडल के अच्छाइयों का उपयोग एक साथ किसी प्रोजेक्ट में कर सकते हैं।
  • इसमें Software Development के काम को काफ़ी तेजी से पूरा किया जाता है।
  • इसके उपयोग से बड़े एवं जटिल प्रोजेक्ट को भी सरलता से प्रबंधित किया जा सकता है।
  • ग्राहक के संतुष्टि की ओर से ये सबसे अच्छा software development models है इसमें ग्राहक प्रतिक्रिया के लिए हमेशा एक स्थान होता है।
  • इसके उपयोग से उत्पाद में अधिक से अधिक सुविधाओं को एक व्यवस्थित तरीके से जोड़ा जा सकता है।
  • इसके उपयोग से ग्राहक के जटिल आवश्यकताओं को भी सरलता से कम समय में पूरा किया जा सकता है।
  • इसकी मदद से हम customer से मिलने वाले feedback के अनुसार उत्पाद में नए विशेषताओं को जोड़ सकते है और सॉफ्टवेयर के नए संस्करण को काफी तेजी से तैयार कर सकते हैं।





Disadvantages of Spiral Model in Hindi:-

  • यह केवल बड़ी परियोजनाओं के लिए सबसे अच्छा काम करता है, छोटी project में इस प्रकार के मॉडल का कोई उपयोग नहीं।
  • project कई चरणों में पूरा किया जाता है इससे बजट न मिलने का खतरा बना रहता है।
  • इसमें प्रलेखन (Documentation) अधिक करना परता है जिससे प्रोजेक्ट के लगत में बृद्धि हो जाती है।
  • दूसरे SDLC models की तुलना में Spiral Model अधिक जटिल ( Complex ) होता है, इसीलिए इस मॉडल पर काम करने के लिए अनुभवी टीम की आवश्यकता होती है।
  • स्पाइरल मॉडल के उपयोग से बनाए जाने वाले सॉफ्टवेयर का काम काफी लंबे समय तक चलते रहता है, ऐसे में अगर सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी में काम करने वाले software engineers या programmer अपने काम को अधूरे में छोड़ कर चले जाएं तो नए कर्मचारियों के लिए प्रोजेक्ट को समझ कर फिर से उस पर काम शुरू करना काफी जटिल होता है और इसमें बहुत अधिक समय भी बर्बाद जाता है, क्योंकि स्पाइरल मॉडल पहले से ही इतना जटिल है और इसके लिए विशेषज्ञ लोगों की आवश्यकता होती है।
  • Customer से मिलने वाले feedback के अनुसार बार-बार उत्पाद में नए परिवर्तन करना काफी कठिन काम है क्योंकि ग्राहक बाहर बार उत्पाद में नए विशेषताओं को जोड़ने की मांग कर सकता है।
  • कई बार स्पाइरल मॉडल के चरण कभी समाप्त ना होने वाले infinite loop की तरह हो जाते हैं, और ग्राहक इसमें नए-नए परिवर्तन करने की मांग करता रहता है। इसके कारण प्रोजेक्ट का बजट भी बिगड़ जाता है। ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए एक बहुत अच्छी योजना एवं विशेषज्ञ मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।

Conclusion on Spiral Model in Software Engineering in Hindi :- Software Engineering में स्पाइरल मॉडल का उपयोग सॉफ्टवेयर परियोजनाओं को विकसित करने के लिए किया जाता है। इसकी मदद से सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की पूरी प्रक्रिया को कई अलग-अलग चरणों में विभाजित किया जाता है जिससे कि विकास का कार्य बहुत ही सरल और जल्दी पूरा किया जा सकता है। Software Development Life Cycle (सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट लाइफ साइकिल) या SDLC में सॉफ्टवेयर विकसित करने के लिए कई और मॉडल उपलब्ध है लेकिन स्पाइरल मॉडल इसके लिए विशेष है क्योंकि यह Risk Handling में मदद करता है। स्पाइरल मॉडल की दूसरी विशेषता यह है कि यह दो या दो से अधिक SDLC मॉडल्स के चरणों को एक साथ किसी परियोजना में जोड़कर उपयोग करने की अनुमति देता है। आमतौर पर वॉटरफॉल मॉडल और इटरेटिव मॉडल को एक साथ जोड़ कर स्पाइरल मॉडल में उपयोग किया जाता है।

इस लेख में हमने स्पाइरल मॉडल को सरल हिंदी भाषा में समझाने का प्रयास किया है। उम्मीद है कि Spiral Model in Hindi का यह लेख आपको पसंद आया होगा अगर आप हमें स्पाइरल मॉडल से संबंधित कोई सुझाव देना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताएं जिससे कि हम अपने लेख में आवश्यक परिवर्तन करके इसे और अधिक उपयोगी बना सके।

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