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What is Compiler in Hindi

Author: admin | On:5th Nov, 2020| Comments: 0

Definition of Compiler in Hindi:- कंपाइलर शब्द का हिंदी अर्थ अनुभाषक होता है, अर्थात एक भाषा को दूसरे भाषा में परिवर्तित करने वाला। Computer में कम्पाइलर एक ऐसा प्रोग्राम है जो High-level programming language जैसे की C, C++, Java, Python में लिखे गए कोड को मशीन के भाषा में बदल देता है। अलग-अलग प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के लिए अलग-अलग कंपाइलर उपलब्ध होते हैं, जो उस प्रोग्रामिंग भाषा के लिए लिखे गए Source Code को मशीनी भाषा में परिवर्तित करता है जिसके फलस्वरूप उपयोगकर्ता को अंतिम उत्पाद के रूप में सॉफ्टवेयर या प्रोग्राम प्राप्त हो पाता है।




उदाहरण के लिए c और c++ प्रोग्रामिंग भाषा के लिए turbo c और dev c++ जैसे कुछ लोकप्रिय कंपाइलर बाजार में उपलब्ध हैं, जिनके उपयोग से कोई भी सॉफ्टवेयर इंजीनियर या विद्यार्थी इनके code से प्रोग्राम बना सकता है। ठीक इसी प्रकार javac और Eclipse जैसे कंपाइलर का उपयोग java प्रोग्राम बनाने के लिए किया जाता है।

Need of Compiler in Hindi

Need of Compiler in Hindi:- सभी हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में अंग्रेजी और गणित के चिन्हों के उपयोग से प्रोग्राम को लिखा जाता है, लेकिन कंप्यूटर अंग्रेजी भाषा को नहीं समझता।  वह केवल मशीन की भाषा मतलब Binary Language ( 0 और 1 ) को समझता है।  इसलिए compiler की आवश्यकता पड़ती है यह हाई लेवल प्रोग्राम के Source Code के शुद्धता की जांच करता है और अगर कोड में कोई अगर कोई गलती मौजूद है, तो उस गलती से सम्बंधित कुछ जानकारियों को एक Popup Box में दिखाता है और अगर Code में कोई गलती उपलब्ध मौजूद नहीं है या सभी गलतियों को पूरी तरह से ठीक कर देने के बाद कंपाइलर Source Code को मशीन के द्वारा समझने योग्य भाषा मतलब Binary Language में अनुवादित कर देता है।

Main Function of Compiler in Hindi 

  • कंपाइलर source code की शुद्धता की जांच करता है और अगर कोई गलती मौजूद है तो उसके विषय में बताता है।
  • यह सोर्स कोड से syntax और semantic errors को दूर करने में मदद करता है। यह सोर्स कोड के जिन लाइनों में इस प्रकार के त्रुटि मौजूद हो उन लाइनों को हाईलाइट करता है।
  • High level language को Machine Language में अनुवादित कर देता है।
  • अंत में कंपाइलर एक मुख्य सॉफ्टवेयर उत्पाद बनाकर देता है जैसे कि विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए .exe प्रोग्राम। इस अंतिम सॉफ्टवेयर को लेकर हम किसी भी सामान ऑपरेटिंग सिस्टम बाले कंप्यूटर पर चला सकते है।
  • यह कंप्यूटर मेमोरी में प्रोग्राम द्वारा उपयोग किये गए variables के लिए  के लिए आंतरिक संरचना तैयार करने में मदद करता है।

Some Special Type of Compiler in Hindi:-  कुछ विशेष प्रकार के कंपाइलर ऐसे भी होते है जो सामान्य कंपाइलर की तुलना में कुछ अलग तरीके से काम करते हैं। उनके उदाहरण निम्नलिखित रुप से है:-

  • Cross Compiler:- क्रॉस कंपाइलर एक ऐसा कंपाइलर होता है जो किसी दूसरे प्लेटफॉर्म के लिए निष्पादन योग्य कोड बनाने में सक्षम होता है। उदाहरण के लिए क्रॉस कंपाइलर को windows operating system वाले कंप्यूटर पर चलाकर एंड्रॉयड स्मार्टफोन के लिए एप्लीकेशन बनाया जा सकता है।
  • Source-to-source Compiler:- सोर्स-टू-सोर्स कंपाइलर को transcompiler (ट्रांसकम्पाइलर) या transpiler (ट्रांसपाइलर) के नाम से भी जाना जाता है। ये एक प्रोग्रामिंग भाषा में लिखे सोर्स कोड को दूसरी प्रोग्रामिंग भाषा के सोर्स कोड में परिवर्तित कर देता है।




Advantage and Disadvantages of Compiler in Hindi

Advantage of Compiler in Hindi :-

  • कंपाइलर सोर्स कोड में मौजूद syntax या semantic errors जैसे जैसी गलतियों को ढूंढ कर errors message में प्रोग्रामर को यह जानकारी प्रदान करता है कि source code में किस जगह पर कितने नंबर के लाइन में कोई गलती हुई है।
  • एक बार source code को compile करने के बाद उसकी कोई आवश्यकता नहीं रह जाती है क्योंकि कंपाइलर अंतिम उत्पाद के रूप में एक प्रोग्राम बना कर देता है जिसे चलाने के लिए सोर्स कोड की कोई आवश्यकता नहीं रह जाती है।
  • कंपाइलर के अंतिम उत्पाद को हम किसी भी समान ऑपरेटिंग सिस्टम वाले कंप्यूटर पर चला सकते हैं, और इस काम के लिए हमें इन बातों की चिंता नहीं करनी होती है कि हम जिस मशीन पर इस प्रोग्राम को चलाएंगे उसमें किस प्रकार के हार्डवेयर या माइक्रो प्रोसेसर का उपयोग हुआ है।

Disadvantage of Compiler in Hindi :-

  • कंपाइलर किसी प्रोग्राम के सोर्स कोड में मौजूद errors को हटाने में का काम बहुत अच्छे से नहीं कर पाता है, कई बार प्रोग्राम में कई प्रकार के logical error मौजूद होते है, कंपाइलर इन गलतियों को समझने में असमर्थ है।
  • compiler का एक नुकसान यह भी है कि जब किसी प्रोग्राम के सोर्स कोड से त्रुटियों को ठीक करने के बाद उसे दोबारा कंपाइल करने का काम शुरू किया जाता है तो कंपाइलर फिर से पूरा प्रोग्राम शुरू से ही कंपाइल करना शुरू कर देता है। इस काम में बहुत अधिक समय बर्बाद होता है।

Phases of compiler in Hindi:- कंपाइलर अपने काम को कई अलग-अलग चरणों में पूरा करता है इनके प्रत्येक चरण अपने अगले चरण को इनपुट देता है। इन सभी कंपाइलर के चरणों के नाम एवं उनके कार्य निम्नलिखित रुप से है।

  1. Lexical Analysis (लेक्सिकल एनालिसिस):- यह कंपाइलर का सबसे पहला चरण होता है, जिसमें सोर्स कोड में लिखे प्रत्येक अक्षरों को स्कैन किया जाता है।
  2. Syntax analysis (सिंटेक्स एनालिसिस):- यह दूसरा चरण है जिसमें कोड की संरचना एवं व्याकरण का विश्लेषण किया जाता है। इस चरण का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि programmer द्वारा लिखे गए कोड उस प्रोग्रामिंग भाषा के नियमों का पालन ठीक से करता है या नहीं।
  3. Semantic analysis (सिमेंटिक एनालिसिस):- यह जँचता है की code सही नियमों का पालन करता है की नहीं। उदाहरण के लिए कोड में सही data types का उपयोग हुआ है की नहीं। किसी जगह दो अलग-अलग प्रवृत्ति वाले वेरिएबल पर एक साथ कोई प्रक्रिया करने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा जैसे की string को integer से जोड़ना आदि ।
  4. Intermediate code generator (इंटरमीडिएट कोड जनरेटर):- सिमेंटिक एनालिसिस के बाद प्रोग्राम के source code को इंटरमीडिएट कोड में परिवर्तित कर दिया जाता है। इंटरमीडिएट कोड high-level और machine level language के बीच की भाषा है। मशीन कोड बनाने से पहले इंटरमीडिएट कोड इसलिए बनाया जाता है जिससे की आगे की पूरी प्रक्रिया सरलता से पूरी हो जाये।
  5. Code optimizer (कोड ऑप्टमाइज़र) :-  इंटरमीडिएट कोड बनाने के बाद code optimization की प्रक्रिया को पूरा किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान इंटरमीडिएट कोड में मौजूद अनावश्यक लाइनों को हटा दिया जाता है, जिससे कि प्रोग्राम को निष्पादित करने की प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया जा सके एवं कंप्यूटर के विभिन्न हार्डवेयर संसाधन जैसे की मेमोरी और सीपीयू का सदुपयोग हो सके। प्रोग्राम का आकार कितना छोटा होगा प्रोग्राम निष्पादन में उतनी कम समय लेंगी एवं मेमोरी में उसको जमा करने के लिए उतने ही कम जगह की आवश्यकता होगी।
  6. Code generator (कोड जनरेटर) :- यह सबसे अंतिम चरण है इसमें हाई लेवल लैंग्वेज के सोर्स कोड को पूरी तरह से मशीनी भाषा में परिवर्तित कर दिया जाता है। इसके बाद source code का निष्पादन कंप्यूटर के सीपीयू द्वारा प्रारंभ किया जा सकता है। इस चरण के अंतर्गत ही सोर्स कोड में लिखे गए variable को memory locations में स्थान आवंटित किया जाता है।





History of Compiler in Hindi:- कम्पाइलर शब्द का उपयोग सबसे पहले 1950 में Grace Murray Hopper (ग्रेस मरे होपर) द्वारा किया गया था। हालाँकि पहले कम्पाइलर का निर्माण 1954 से 1957 के बीच IBM कंपनी के कर्मचारी जॉन बैकम और उनके टीम के द्वारा किया गया था। COBOL वह पहली हाई लेवल प्रोग्रामिंग भाषा थी जिसे कंपाइलर की मदद से कंपाइल किया गया था। बाद में 1960-70 के बीच अलग-अलग विशेषज्ञों एवं कंप्यूटर वैज्ञानिकों ने कंपाइलर के डिजाइन में कई अलग सुधार किए और इसे इसका वर्तमान स्वरूप प्रदान किया।

Conclusion on Compiler in Hindi :-  कंपाइलर एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जिसका उपयोग करके दूसरे सॉफ्टवेयर या यह प्रोग्राम को बनाया जा सकता है मुख्य रूप से इसका उपयोग हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के में लिखे गए प्रोग्राम के सोर्स कोड को मशीन के समझने योग्य भाषा में परिवर्तित करने का होता है। किसी सामान्य कंप्यूटर उपयोगकर्ता को कंपाइलर जैसे प्रोग्राम की आवश्यकता नहीं होती है। केवल किसी सॉफ्टवेयर, प्रोग्रामर और एप्लीकेशन को बनाने में इच्छुक Software engineer, Programmer या Student के द्वारा ही इसका उपयोग किया जाता है।

इस लेख में हमने सरल हिंदी भाषा में समझाने का प्रयास किया है की कम्पाइलर क्या होता है? उम्मीद है कि आपको Compiler in Hindi का यह लेख पसंद आया होगा। अगर आप इस आर्टिकल से संबंधित कोई सुझाव हमें देना चाहते हैं, तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताएं जिससे कि हम अपने लेख में आवश्यक परिवर्तन करके इसे और अधिक उपयोगी बना सकें।

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