GPS क्या है? (GPS Full Form):- Hello Friends जैसा की हम सभी जानते है कि आज Internet का युग है और इस internet के युग मे हर दिन नई-नई Technology को Developed किया जा रहा है।
जिनके जरिये हमारे काफी काम आसान हो चुके है। आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में एक काफी Useful Technology के बारे में बताने जा रहे है जिसका नाम है GPS (Global Position System).
अगर आप इस इंटरनेट युग मे स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे है तो आपने GPS (Global Position System) का नाम ज़रूर सुना होगा। क्योंकि यह एक ऐसी Technology है जिसके द्वारा किसी भी Location के बारे में आसानी से पता लगा सकते है।
जैसे की आप कही जा रहे है लेकिन आपको उस रास्ते के बारे में अधिक जानकारी नहीं है, तो आप आसानी से GPS Tracker की Help से उस Location का आसानी से पता लगा सकते है।
इतना तो शायद लगभग आप सही जानते होंगे।
लेकिन लेकिन अब आख़िर ये GPS(Wiki) क्या है? और इसका Full Form क्या है?
इसके बारे में शायद आप नही जानते होंगे बस इसलिए आज हम आपको इस Article में GPS के बारे में Detail में जानकारी लेकर आयें जो आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण होने वाली है।
Friends जैसा कि सभी जानते है कि पहले हम अगर किसी अंजान जगह जाना होता था तो काफी परेशानी होती थी।
मतलब की पहले जब हमे किसी ऐसी जगह जाना होता था जहां के रास्ते के बारे में हमे पता नही होता है तो ऐसे में उस जगह तक पहुंचने के लिए काफी लोगो से बार-बार पूछना होता था तब जाकर सही जगह पहुंच पाते थे लेकिन आज ऐसा बिल्कुल नही है क्योंकि आज तो Technology काफी advance हो गयी है और इस Advance Technology में काफी कुछ आसान हो गया है।
इन्ही Technology में GPS Technology भी आती है।
इस GPS Technology की Help से आज हम किसी भी अंजान रास्ते, जगह पर आसानी से पहुंच सकते है यह काफी अच्छी और Popular Technology है।
जिससे अभी काफी लोग अंजान जैसे कि GPS क्या है? इसका Full form क्या है? आदि।
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तो हमने सोचा क्यो ना आपको इस Technology से अवगत कराया जाए So Friends चलिये अब GPS के बारे में थोड़ा Detail में जानते है –
GPS क्या है? (What Is GPS In Hindi)
GPS (Global Position System) को 1960 में अमेरिका के (Defense Department) में बनाया गया था।
जिसकी Help से हम किसी भी Location का आसानी से पता लगा सकते है। शुरू में इस Technology को सिर्फ US Army के इस्तेमाल लिए Develop किया गया था।
लेकिन बाद में 17 अप्रैल 1995 में इसे सार्वजनिक कर दिया गया था।
और आज यह Technology हर smartphone में देखने को मिल जाएगी। जिसका इस्तेमाल आज रास्ता खोजने, गाड़ी, बस, रेल, हवाई जहाज़ आदि की location के बारे में जानने के लिए सबसे ज्यादा किया जाता है।
GPS System की Help से एक Location आए दूसरी Location की दूरी के बारे में भी आसानी से पता कर सकते है।
GPS क्या है (Other GPS Full Form)
World में GPS के अन्य सिस्टम भी है जिन्हें सभी Global navigation Satellite System ( GNSS) के द्वारा वर्गीकृत किया गया है।
इसे विशेष रूप से रूस के द्वारा Develop किया गया है। जो एक तारामंडल प्रणाली है।
जो यूरेनियन स्पेस गैलीलियो का निर्माण कर रही है। जो की मुख्य रूप से रिसीवरर्स Garmin Glonass कर GPS को Track करते है।
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GPS Full Form= Global Position System
GPS Full Form In Hindi= वैश्विक स्थान – निर्धारित प्रणाली
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GPS कैसे काम करता है (How GPS Work?)
GPS एक Receiver की तरह काम करता है जो कई सैटेलाइट से जुड़ा होता है।
यह सैटेलाइट अमेरिका से जुड़े हुए है जो पृथ्वी पर सिंग्नल भेजते है और GPS इन्ही Signal को Catch करके Google Map में Show कर देता है।
जानकारी के लिए बता दे अमेरिका ने लगभग 50 से भी ज्यादा सैटेलाइट लांच किए गए जो एक रिसीवर से जुड़े हुए है।
बस इन्ही की Help से रिसीवर 24 Hour समय और दूरी को Google Map पर Show करता है।
जिसकी मदद से हम आसानी से किसी भी समय किसी रास्ते, जगह की सही लोकेशन का पता लगा पाते है।
GPS का उपयोग (Uses Of GPS):
GPS का इस्तेमाल आज काफी बढ़ गया है और यह Technology आज दुनिया भर में काफी पॉपुलर है. जिसे यहां व्यान करना मुश्किल है हालांकि GPS के कुछ उपयोग के बारे में हमने नीचे बताया है जो इस प्रकार।है –
Location Position:
किसी भी Location को Track करना GPS का सबसे Main Feature है। इस Feature की Help से हम किसी भी Location की जानकारी हासिल कर सकते है।
Tracking:
इस GPS का इस्तेमाल Crime को पकड़ने और पुलिस जांच के लिए किया जाता है.
Emergency Road:
GPS का यह फीचर बेहद अच्छा है इसमे अगर आप किसी सड़क दुर्घटना में फस जाते है तो इसका इस्तेमाल करके आप अपने फ़ोन में प्री – प्रोग्राम्ड Emergency नंबर लगा सकते है।
Preventing Car Theft:
इस GPS की मदद से आप अपने वाहन (Car) को चोरी होने से बचा सकते है। मतलब की इस GPS को आप अपनी गाड़ी पर GPS Traking डिवाइस लगा सकते है। जिससे अगर आपकी कोई भी गाड़ी चोरी करता है तो उसकी डिटेल आपको आसानी से मिल जाएगी।
Keeping Watch:
इस GPS का इस्तेमाल परिवार के बुजुर्ग लोगो की देखभाल के लिए किया जाता है। अक्सर ऐसा होता है कि परिवार के बुजुर्ग लोगो मे उम्र के साथ परेशानियां बढ़ने लगती है और अगर वह ऐसे में कही घूमते – घूमते रास्ता भटक जाते है तो उन्हें इस जीपीएस की मदद से इस परेशानी का सामना नही करना होगा।
यहाँ हम NAVSTAR की जोभी Satellite Orbit में है, उसकी जानकारी भी दी है.
Satellite | Launched on |
NAVSTAR 1 | 22-02-1978 |
NAVSTAR 2 | 13-05-1978 |
NAVSTAR 3 | 07-10-1978 |
NAVSTAR 4 | 11-12-1978 |
NAVSTAR 5 | 09-02-1980 |
NAVSTAR 6 | 26-04-1980 |
NAVSTAR 7 | 19-12-1981 |
NAVSTAR 8 | 14-07-1983 |
NAVSTAR 9 | 13-06-1984 |
NAVSTAR 10 | 08-09-1985 |
NAVSTAR 11 | 09-10-1985 |
दोस्तों जैसे अमेरिका के Navstar system है उसी तरह से हमारे इंडिया में भी Navstar system है.
हमारे इंडिया के Navigation system का नाम है Indian Regional Navigation Satellite System (IRNSS).
5 Country के Navigation system हे:
Country Name | Navigation system |
India | IRNSS |
USA | NAVSTAR |
Russia | Glonass |
china | Bei-Dou 2 |
Japan | Quasi-Zenith Satellite System |
Europe union | GALILEO |
GPS के प्रकार (Types Of GPS):
GPS के कुछ प्रकार होते है जो अलग-अलग तरीके से अपना काम करते है जिनके बारे में आप नीचे पड़ सकते है-
Assistance GPS:
इस GPS का इस्तेमाल प्रोसेस की स्पीड बढ़ाने के लिए किया जाता है। और जब सिग्नल लॉक होता है तब Assistance GPS Position को लॉक करने के लिए रिसीवर की मदद करता है। जानकारी के लिये बता दे कि यह सैटेलाइट की जानकारी को पहले से स्टोर करके रखता है इसलिए इसे Web Based Internet Server भी कहाँ जाता है।
GPS Locking:
जब किसी निश्चित जगह का पता लगाना होता है तब इसGPS का Use किया जाता है। यह GPS Lock Tracker पर निर्भर करता है। जैसे की अगर कोई ड्राइवर ड्राइविंग कर रहा है तो उसकी यदि स्पीड कम हो जाती है तो उसकी Location का पता भी लगाने में काफी समय लगेगा। इस तरह की GPS Locking को तीन जगह Divide किया है जो इस प्रकार है –
Hot Start:
इस GPS की मदद से Last Location का पता लगाया जाता है। जिसमें सैटेलाइट के साथ UTC टाइम भी जुड़ा हुआ होता है। और उसी टाइम के हिसाब से यह आपको last लोकेशन का पता लगता है। इसमे यदि GPS रिसीवर Last Position के नज़दीक होता है तो Location Tracking Speed भी तेज़ हो जाती है।
Warm Start:
इस GPS में पहले की जानकारी के साथ-साथ पुरानी जानकारी को भी रिसीवर स्टोर करके रखता है। और फिर रिसीवर को नई लोकेशन का पता लगाने के लिए सैटेलाइट सिग्नल की आवश्यकता होती है फिर इन्ही।सिग्नल की मदद से Warm Start GPS नई लोकेशन का पता लगाता है।
Cold Start:
Cold Start GPS में कोई भी जानकारी पहले से मौजूद नही होती है। मतलब की यह GPS शुरू से ही अपनी Tracking Start करता है।
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Conclusion:
दोस्तों I hope आप सबको GPS के बारे में Detail Knowledge मिल गए होंगे। हम आपको GPS के Related सभी Information को आपके साथ Share करने के कोसिस के है.
I hope आप सबको GPS Full Form और GPS Kya hai के बारे में जानके अत्छा लगा होगा, अगर आर्टिकल अत्छा लगा तो अपने दोस्तों के साथ Share करना न भूले।
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ICT Full Form |
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