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What is Network protocol in Hindi?

Author: admin | On:24th Nov, 2020| Comments: 0

What is Protocol (प्रोटोकॉल क्या है) ?

प्रोटोकॉल किसी काम को करने के लिए बनाए गए नियमों और मापदंडों का एक समूह होता है, जिसके उपयोग से किसी काम को सरलता से पूरा किया जा सकता है। साधारण शब्दों में कहें तो प्रोटोकॉल के उपयोग से किसी काम को करने के लिए एक universal (सार्वभौम) नियम या पद्धति स्थापित किया जाता है।

Definition of Network protocol in Hindi :- नेटवर्क प्रोटोकॉल, नेटवर्क द्वारा अनुसरण किए जाने वाले औपचारिक नियमों और नीतियों का एक समूह है, यह नेटवर्क से जुड़े हुए सभी हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर तकनीको के कार्य विधि के लिए आवश्यक नियमों को परिभाषित करता है जिसके उपयोग से सभी उपकरण आपस में सरलता से संचार कर सकते हैं।

अगर साधारण शब्दों में कहें तो नेटवर्क प्रोटोकोल विभिन्न उपकरणों के बीच नेटवर्क के माध्यम से संचार या communication के लिए आवश्यक नियमों और सिद्धांतों को परिभाषित करता है।

Function of Network protocol in Hindi

Main Function of Network protocol in Hindi :- नेटवर्क प्रोटोकोल द्वारा निम्नलिखित कामों के लिए नियमों को परिभाषित किया जाता है

network protocol in hindi
Network Protocol in Hindi
  • नेटवर्क प्रोटोकॉल यह बताता है कि अगर उपकरण आपस में Wire या केबल की मदद से जुड़ा हुआ है, तो जानकारियों को किस प्रकार से हस्तांतरित करना है और अगर उपकरण आपस में वायरलेस कनेक्शन जैसे कि WiFi, bluetooth आदि के उपयोग से जुड़ा हुआ है, तो जानकारियों को किस प्रकार से हस्तांतरित करना है।
  • नेटवर्क से जुड़े हुए सभी अलग-अलग प्रकार के उपकरण जैसे कि कंप्यूटर, लैपटॉप, प्रिंटर, स्कैनर, राउटर, server आदि के बीच एक सामंजस्य स्थापित करता है, ताकि अलग-अलग ऑपरेटिंग सिस्टम और हार्डवेयर कंफीग्रेशन के उपयोग से बनी मशीनों के बीच जानकारियों के हस्तांतरण में कोई समस्या ना आए।
  • नेटवर्क में किस जानकारियों को किस format (प्रारूप) में हस्तांतरित किया जाएगा यह भी नेटवर्क प्रोटोकॉल द्वारा तय किया जाता है।
  • आमतौर पर जब sender द्वारा किसी बड़े आकार के डेटा को भेजा जाता है तो उसे कई छोटे-छोटे data packets में बांट दिया जाता है जिससे कि इन्हें सरलता से स्थानांतरित करवाया जा सके। नेटवर्क प्रोटोकॉल इस बड़े आकार के डेटा को छोटे-छोटे पैकेट में विभाजित करने तथा उन पैकेट के क्रम को प्रबंधित करने के लिए आवश्यक नियमों को परिभाषित करता है।
  • नेटवर्क प्रोटोकॉल द्वारा जानकारियों के प्रवाह की गति को नियंत्रित करने से संबंधित नियम बनाए जाते हैं जिससे कि जानकारियों को भेजने वाला मशीन या Sender और जानकारियों को प्राप्त करने वाला मशीन या receiver दोनों के बीच एक सामान्य स्थापित किया जा सके। जिससे कि नेटवर्क में बिना किसी ट्रॉफिक जाम के जानकारियों को एक मशीन से दूसरे मशीन तक पहुंचाया जा सकता है ।
  • यह जानकारी या data की सुरक्षा तथा उनके हस्तांतरण में लगने वाला समय को प्रबंधित करने से संबंधित नियमों को बनाने के लिए भी जिम्मेदार हैं।
  • अगर किसी data के हस्तांतरण में कोई error उत्पन्न होता है, तो इस समस्या को कैसे मैनेज किया जाएगा इससे संबंधित नियम भी नेटवर्क प्रोटोकॉल द्वारा परिभाषित किए जाते हैं।
  • यह सेंडर से रिसीवर तक किसी जानकारी को पहुंचाने का सबसे छोटा और सरल मार्ग ढूंढने में मदद करता है।
  • यह सेंडर द्वारा भेजे जाने वाले जानकारियों को comperes करके उन्हें छोटा कर देता है, जिससे कि उन्हें जल्दी से जल्दी रिसीवर तक पहुंचाया जा सके।
  • सभी जानकारियों को सही मशीन तक डिलीवर किया जा सके इसके लिए यह मशीनों के IP Address को भी Authenticate करता है।

Types of network protocols in Hindi

Types of network protocols in Hindi :- वैसे तो कुल मिलाकर हजारों की संख्या में अलग-अलग नेटवर्क प्रोटोकॉल उपलब्ध है, इनमें से कुछ प्रमुख नेटवर्क प्रोटोकॉल निम्नलिखित रुप से हैं:-

  • Hypertext Transfer Protocol (HTTP):- हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल (HTTP) का उपयोग web server या sender से उपयोगकर्ता के निजी कंप्यूटर या receiver के बीच जानकारियों का आदान प्रदान करने के लिए किया जाता है। यह जानकारियां वेब पेज के रूप में होती है जिन्हें HTML के उपयोग से बनाया जाता है। आप अपने वेब ब्राउज़र पर जब भी किसी वेबसाइट को खोलते हैं तो इसके पीछे HTTP की ही तकनीक काम कर रही होती है।
  • Hypertext Transfer Protocol Secure (HTTPS):- हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल सिक्योर (HTTPS) HTTP का ही एक विकसित रूप है जो सर्वर से उपयोगकर्ता के कंप्यूटर तक जानकारियों को सुरक्षित रूप से हस्तांतरित करने में मदद करता है। इसमें आदान-प्रदान की जाने वाली सभी जानकारियों को Secure Sockets Layer (SSL) के उपयोग से encrypt कर दिए जाते हैं, जिससे कि कोई भी Hacker इन जानकारियों तक अनाधिकृत रूप से ना पहुंच सके।
  • Transmission Control Protocol (TCP) :- ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल (TCP) नेटवर्क पर संचार के लिए उपयोग किया जाने वाला सबसे लोकप्रिय प्रोटोकॉल है। यह नेटवर्क से जुड़े हुए उपकरणों के बीच संचार की प्रक्रिया को प्रारंभ करने तथा इसे बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है। यह स्त्रोत से प्राप्त होने वाले किसी डाटा को कई छोटे-छोटे पैकेटों की श्रृंखला में विभाजित करके गंतव्य तक भेजता है तथा गंतव्य पर पहुंचने के बाद इन सभी पैकेट को पुनः जोड़ कर मुख्य डाटा के रूप में प्रदर्शित करता हैं। यह एक connection oriented प्रोटोकॉल है, मतलब कि यह दो मशीनों के बीच संचार की प्रक्रिया को प्रारंभ करने से पहले इस बात को authenticate करता है, कि दोनों मशीन आपस में जुड़े हुए हैं और जानकारियों के आदान-प्रदान के लिए तैयार हैं।
  • Internet Protocol (IP) :- सेंडर द्वारा दी जाने वाली जानकारियों को किन रास्तों के उपयोग करके उनके destination तक जाएगी इसका चुनाव इंटरनेट प्रोटोकॉल (IP) के द्वारा किया जाता है। यह गंतव्य मशीन के आईपी ऐड्रेस का उपयोग करके data पैकेट को उसके डेस्टिनेशन तक पहुंचाने मैं मदद करता है। इसका उपयोग आमतौर पर TCP के साथ किया जाता है।
  • User Datagram Protocol (UDP) :- यूजर डेटाग्राम प्रोटोकॉल (UDP) भी TCP की तरह जानकारियों को एक मशीन से किसी दूसरे मशीन तक हस्तांतरित करने के लिए जिम्मेदार है, लेकिन यह connectionless प्रोटोकॉल है मतलब की इसमें संचार की प्रक्रिया को प्रारंभ करने से पहले किसी भी प्रकार जाँच या authentication नहीं किया जाता। इसलिए इसमें समय की बचत होती है, लेकिन ऐसा भी हो सकता है की जिस मशीन को जानकारियां भेजी गई हो वह जानकारियों को प्राप्त करने के लिए तैयार ही नहीं है। इसी कारण UDP में गलती होने की संभावना हमेशा बनी रहती है।
  • File Transfer Protocol (FTP) :- फ़ाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (FTP) का उपयोग क्लाइंट और सर्वर के बीच कंप्यूटर फ़ाइलों जैसे की प्रोग्राम फाइलें, मल्टीमीडिया फाइलें, टेक्स्ट फाइलें और दस्तावेज आदि को हस्तांतरण के लिए किया जाता है। FTP का उपयोग विभिन्न ने फाइलों को वेब सर्वर से डाउनलोड करने के लिए भी किया जाता है।
  • Telnet :- टेलनेट प्रोटोकॉल एक एप्लिकेशन प्रोटोकॉल है, जो User को नेटवर्क से जुड़े हुए किसी दूरस्थ कंप्यूटर या रिमोट डिवाइस के साथ संवाद करने की अनुमति देता है। इसके लिए उपयोगकर्ता को टेलनेट का सॉफ्टवेयर उपयोग करना पड़ता है, जो रिमोट डिवाइस को access करने या रिमोट लॉगिन करने की सुविधा प्रदान करता है।
  • Secured Shell (SSH):- Secured सिक्योर्ड शैल (SSH) का उपयोग टेलनेट के विकल्प के रूप में किया जाता है। यह किसी डिवाइस को एक्सेस करने से पहले सभी सूचनाओं को encrypt (एन्क्रिप्ट) करता है, जिसका अर्थ है कि इसमें संचार की पूरी प्रक्रिया को बहुत ही सुरक्षित तरीके से किया जाता है।
  • Email Transfer Protocols (POP, IMAP, SMTP) :- ईमेल प्रोटोकॉल का उपयोग इंटरनेट से जुड़े हुए उपकरणों के ईमेल के रूप में जानकारियों को भेजने तथा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं ।
  • Post Office Protocol (POP):- यह एक पुराना ईमेल प्रोटोकॉल है जिसका उपयोग 1984 से के समय में किया जाता था। इसमें मेल सर्वर में मौजूद ईमेल को Access करने के लिए उपयोगकर्ता को उसे अपने निजी कंप्यूटर में डाउनलोड करना पड़ता है तथा एक बार कोई ईमेल डाउनलोड हो जाए तो मेल सर्वर से अपने आप delete हो जाता है।
  • Internet Message Access Protocol (IMAP):- यहां POP से थोड़ा उन्नत प्रोटोकॉल है इसमें किसी ईमेल को एक्सेस करने के लिए उसे डाउनलोड करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है, उपयोगकर्ता अपनी इच्छा से किसी भी मेल को पढ़ने के बाद डाउनलोड कर सकता है।
  • Simple Network Management Protocol (SNMP) :- यह मौजूदा समय में सबसे ज्यादा उपयोग किए जाने वाला प्रोटोकॉल है, जो  मेल बॉक्स में आने वाले ईमेल को आवश्यकता के अनुसार ऑर्गेनाइज करने की सुविधा प्रदान करता है। इसके साथ ही यह बहुत ही सुरक्षित ईमेल संचार की व्यवस्था की सुविधा प्रदान करता है।
  • Domain Name System (DNS):- डोमेन नेम सिस्टम (DNS) एक डेटाबेस है, जिसका उपयोग डोमेन नेम जैसे कि com facebook.com yahoo.com आदि को उसके IP address में बदलने के लिए उपयोग किया जाता है। जब भी आप अपने वेब ब्राउज़र पर किसी वेबसाइट का नाम लिखते हैं तो DNS उस वेबसाइट के नाम को उसके IP addresses में परिवर्तित करके उसे सर्वर से जोड़ता है।

 

Conclusion Network protocols in Hindi :– नेटवर्क प्रोटोकॉल का उपयोग नेटवर्क से जुड़े हुए विभिन्न उपकरणों के बीच संचार के लिए आवश्यक नियमों को परिभाषित करने में किया जाता है। नेटवर्क प्रोटोकोल ही ये बताता है कि किसी दो उपकरणों के बीच जानकारियों को किस प्रकार से आदान-प्रदान किया जाएगा, नेटवर्क में हस्तांतरित किए जाने वाले data का प्रारूप क्या होगा, उन्हें सेंडर से रिसीवर तक पहुंचाने के लिए किस मार्ग का चुनाव करना चाहिए तथा जानकारियों की सुरक्षा और Error Control से संबंधित नियम भी नेटवर्क प्रोटोकॉल द्वारा ही स्थापित किए जाते हैं, अर्थात नेटवर्क प्रोटोकॉल के बिना Digital communication की प्रक्रिया असंभव है।

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