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What is OSI Model in Hindi

Author: admin | On:5th Nov, 2020| Comments: 1

What is OSI Model in Hindi? (Full form of OSI Model):- Hello Friends क्या आप जानते है कि इंटरनेट पर चीज़े कैसे काम करती है या फिर जब आप अपने फ़ोन से किसी को को मेसेज या फिर कोई information शेयर करते हो तो ये सब कैसे और किस तरह से होता है।

आज इस आर्टिकल में हम आपको इसके (Full form of OSI Model) बारे में बताएँगे कि ये सब कैसे होता है। आपको बता दे कि इंटरनेट पर किसी भी Informationको शेयर करने के लिए आपको एक protocol फॉलो करना होता है।

OSI Model के बनने से पहले किसी भी इंटरनेट पर किसी भी Information को शेयर करने में काफी समस्या होती थी क्योंकि इसमें एक vendor की solution दूसरे person के साथ compatible नही होती थी.




इससे बहुत समस्या होती थी फिर International Organization for Standardization (ISO) ने सन 1984 में इस प्रॉब्लम को खत्म करने के लिए OSI Model को बनाया।

इस OSI Model से इंटरनेट पर कोई भी Information को शेयर करने में होने वाली सभी समस्यायें खत्म हो गई। और अब protocol Model को OSI Model कहते है।

इस OSI Model को बनाने में Layer approach का इस्तेमाल किया गया है इसमें कुल सात Layer होती है।

इस आर्टिकल में इन सभी Layer के बारे में बताया गया है पूरी जानकारी के लिए कृपया इस आर्टिकल को अंत तक जरुर पढ़े।

Contents hide
1 Definition of OSI Model in Hindi :-
2 OSI Model का पूरा नाम क्या है? (Full Form of OSI Model):
2.1 OSI Model की सात Layer होती है (Layer Of OSI Model):
3 1. Physical Layer:
4 2. Data link Layer:
5 3. Network Layer:
6 4. Transport Layer:
7 5. Session Layer:
8 6. Presentation Layer:
9 7. Application Layer:
10 Advantage of OSI model in Hindi – ओएसआई मॉडल के लाभ:
11 Disadvantage of the OSI model in Hindi – ओएसआई मॉडल के हानि:
12 Conclusion:

Definition of OSI Model in Hindi :-

Layer Of OSI Model
Layer Of OSI Model

आपको बता दे की इसमें सात Layer होती है। इस OSI Model को International Organization for Standardization (ISO) ने सन 1984 में बनाया गया था।

इस OSI Model को इंटरनेट पर किसी दो यूजर के बीच इनफार्मेशन को शेयर करने के लिए विकसित किया गया था।

इस OSI Model में सात Layer होती है और ये सभी Layer इनफार्मेशन को ट्रांसमिट करने में हेल्प करती है।

ये सभी Layer इनफार्मेशन को ट्रान्सफर करने के लिए प्रत्येक Layer दूसरी Layer पर निर्भर रहती है।

अगर डाटा transmission के दौरान किसी भी Layer में कोई समस्या आती है तो इनफार्मेशन ट्रान्सफर नही होतो है।

OSI Model का पूरा नाम क्या है? (Full Form of OSI Model):

OSI Model की Full Form “open system Interconnection” होती है। इसे 1984 में International Organization for Standardization (ISO) द्वारा बनाया गया था।

जैसा की अब आप समझ गये होगें कि OSI Model ये बताता है कि किसी भी नेटवर्क या फिर इन्टरनेट पर कोई भी इनफार्मेशन कैसे ट्रांसमिट होती है।

OSI Model की सभी Layer का अपना अपना काम होता है। जिससे किसी भी इनफार्मेशन को नेटवर्क में शेयर किया जा सके।

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OSI Model की सात Layer होती है (Layer Of OSI Model):

Osi model

Friends आपकी जानकारी के लिए बता दे की OSI Model में मुख्य रूप से 7 लेयर होती है जिनके अपने – अपने अलग – अलग कार्य होते है जिनके बारे में नीचे हमने विस्तार से बताया है, So अपनी बेहतर जानकारी  नीचे दी गयी सम्पूर्ण जानकारी को ध्यानपूर्वक पढ़े – 

1. Physical Layer:

OSI Model में Physical Layer सबसे नीची या फिर आप कह सकते है पहली Layer भी कह सकते है।

ये Layer physical डाटा के लिए जिम्मेदार होती है जैसे की डाटा रेट या वोल्टेज, सिग्नल को ट्रांसमिट करना आदि इस Layer के काम होते है।

इस Layer का मुख्य काम electric signal को Digital signal में बदलना और digital signal को electric signal में बदलना इस Layer का मुख्य काम होता है।

इसके अलावा टोपोलॉजी का कार्य भी इस Layer में किया जाता है।

OSI Model की इस physical Layer में कनेक्शन टाइप भी decide होता है कि ये Communication wireless होगा कि wired होगा।




Physical Layer के कार्य:

इस Physical Layer के कई कार्य होते है:

  •  ये Layer ये decide होती है कि उस नेटवर्क में दो या फिर दो से ज्यादा devices आपस में किस प्रकार connect होगी।
  • connect हुई सभी devices के बीच का ट्रांसमिशन mode भी physical Layer के द्वारा ही decide किया जाता है कि कौन सा ट्रांसमिशन mode यूज़ किया जायेगा जैसे कि full duplex, half duplex या फिर simple duplex।
  •  physical Layer आये हुए डाटा signal को transmit करती है।

2. Data link Layer:

OSI Model में Data link Layer नीचे से दुसरे नंबर की Layer होती है। इस Layer के दो काम होते है पहला मीडिया एक्सेस कण्ट्रोल और दूसरा लॉजिक लिंक कण्ट्रोल होता है।

इस Layer में नेटवर्क Layer द्वारा सेंड किये गये सभी डाटा पैकेट्स को encrypt और decrypt किया जाता है।

साथ ही इस Layer में ये decide किया जाता है कि encrypt या फिर decrypt किये गये सभी डाटा पैकेट्स में कोई कमी ना रहे।

आपकी जानकारी के लिए बता दू कि इस Layer में डाटा ट्रांसमिशन के लिए दो protocol को प्रयोग किया जाता है

पहला high level data link control और दूसरा point to point protocol प्रयोग किया जाता है।

Data link Layer के कार्य: 

  • Data link Layer डाटा को छोटे छोटे पैकेट्स में ट्रांसमिट करती है और उन सभी पैकेट्स में header को ऐड करती है या फिर कहो कि उन सभी छोटे छोटे पैकेट्स पर एड्रेस (header) ऐड करती है।
  •  Data link Layer डाटा flow को कण्ट्रोल भी करती है साथ ही ये decide करती है कि receiver औरsender की तरफ active डाटा कनेक्शन है या नही है। जिससे डाटा ट्रान्सफर के दौरान कोई डाटा crypt ना हो।
  •  इसके अलावा जब दो या दो से अधिक devices नेटवर्क में connect होती है तो Data link Layer ये decide करती है कि किस डिवाइस को एक्सेस दिया जायेगा।

3. Network Layer:

ये Layer OSI Model की नीचे से तीसरी Layer है। जैसा की इस Layer के नाम से ही पता चल रहा है कि ये Layer नेटवर्क में काम आती है।

इस Layer में नेटवर्क switching और routing method का प्रयोग किया जाता है। इस Layer का मुख्य काम लॉजिक एड्रेस को या फिर आप कह सकते है IP एड्रेस को उपलब्ध करना और उस एड्रेस को packet पर ऐड करना इस Layer का मुख्य काम होता है.

साथ ही इस Layer का काम destination तक डाटा को पहुचना होता है। इस Layer को packet यूनिट भी कहा जाता है।

Network Layer के कार्य:

  •  Network Layer का काम डाटा पैकेट्स को IP एड्रेस की मदद से destination सिस्टम तक पहुचना होता है। साथ ही ये कई devices में लॉजिकल connection को उपलब्ध करती है।
  • Network Layer का काम routing का भी होता है जिसका मतलब होता है कि ये decide करता है कि डाटा को किस way से सेंड करना चाहीए ताकि डाटा को जल्दी से जल्दी destination तक सेंड किया जा सके।

4. Transport Layer:

Transport Layer OSI Model की नीचे से चौथी Layer होती है। इस Layer का काम डेटा को नेटवर्क में सही ढंग से ट्रान्सफर करना होता है।

इस Transport Layer का कार्य किन्ही दो सिस्टम में Communication कराने में प्रयोग होता है।

इस Transport Layer को सेगमेंट यूनिट बी कहा जाता है।

Transport Layer के कार्य:

  •  Transport Layer का मुख्य काम डाटा को एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम तक transmit करना होता है।
  • Transport Layer flow कण्ट्रोल और error कण्ट्रोल दोनों तरह से काम करती है।
  • ये Transport Layer दो तरह की सर्विस को provide करती है कनेक्शन oriented और connection less।

5. Session Layer:

Session Layer OSI Model की नीचे से पांचवी Layer होती है।

ये Session Layer दो सिस्टम के मध्य डाटा ट्रान्सफर के दौरान एक secure connection को उपलब्ध करती है और उस session को कण्ट्रोल करती है।

जब कोई भी यूजर किसी अन्य सिस्टम को कोई इनफार्मेशन सेंड या फिर शेयर करता है तो उस समय दोनों सिस्टम को जोड़ने और डाटा को ट्रान्सफर करने के लिए एक कनेक्शन बनाया जाता है जो Session Layer का काम होता है।

Session Layer के कार्य:

  • Session Layer एक तरह से dialog controller की तरह काम करती है। साथ ही ये Layer दो सिस्टम को एक secure कनेक्शन के साथ जोड़ देती है जिससे दो सिस्टम secure तरीके से डाटा को transfer कर सके।
  • ये Layer synchronization का काम भी करती है मतलब अगर अगर डाटा ट्रान्सफर के दौरान कोई error आ जाती है तो उस डाटा ट्रांसमिशन को दोबारा किया जाता है।

6. Presentation Layer:

Presentation Layer OSI Model की नीचे से 6th Layer होती है।

इस Layer का डाटा को present करना और उस डाटा को mask करना होता है।

मतलब आये हुए डाटा को इस Layer में encrypt और decrypt किया जाता है। इस Layer में डाटा compression भी किया जाता है।

Presentation Layer के कार्य:

  • इस Layer को यूजर की privacy के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • इस Layer में डाटा को decrypt और encrypt किया जाता है।

7. Application Layer:

Application Layer OSI Model की नीचे से 7th और लास्ट Layer होती है इस Layer का कार्य बाकि सभी Layer और एप्लीकेशन के बीच इंटरफ़ेस करना होता है। Application Layer end user के सबसे नजदीकी Layer होती है। और इस Layer के अंतर्गत FTP,HTTP,NFS, SMTP आदि protocol फॉलो किये जाते है।

Application Layer के कार्य:

  • Application Layer से यूजर बाकि सभी Layer के साथ इंटरफ़ेस कर सकता है।
  • Application Layer की मदद से यूजर computer की फाइल्स को एक्सेस कर सकता है।
  •  Application Layer यूजर को ईमेल और अन्य डाटा को स्टोर करने और फॉरवर्ड करने की सुविधा प्रदान करती है।

Advantage of OSI model in Hindi – ओएसआई मॉडल के लाभ:

  • इसको एक Standard Model माना जाता है
  • OSI Model की Layers Services, interfaces, तथा protocols के लिए बहुत ही Important है.
  • इसमें किसी भी protocol को implement किया जा सकता है.
  • यह बहुत ही ज्यादा secure तथा adaptable है.

Disadvantage of the OSI model in Hindi – ओएसआई मॉडल के हानि:

  • यह सभी Layers एक दूसरे से जुड़े रहते है यानि ये एक दूसरे से Independent है.
  • ये Layers कभी भी दूसरे Protocol को Define नहीं करता है.
  • इसमें नई Protocols का Implementation नहीं होता क्युकी ये Model इन Protocol के Invention के पहले ही बना दिया गया था.
  • इन Layersमें transport तथा data link layer दोनों के पास error control विधी होती है.

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Conclusion:

दोस्तों, OSI Model के Lesson में आज के लिए बस इतना ही था. I hope आप सबको OSI Model in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गए होंगे।

अगर आपको OSI Model के Related और भी information सहिये तो हमे Comments पे जरूर बताये। हम आपके लिए  इसके Related और भी जानकारी Provide करेंगे।

दोस्तों, अगर आर्टिकल पसंद आया तो सभी Social Media पे Share करना ना भूले। धन्यबाद |

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