Definition of Sliding Window Protocol in Hindi :- स्लाइडिंग विंडो प्रोटोकॉल का उपयोग नेटवर्क से जुड़े हुए विभिन्न उपकरणों के बीच डेटा पैकेट को विश्वसनीय और क्रमबद्ध रूप में हस्तांतरित करने के लिए किया जाता है।
स्लाइडिंग विंडो प्रोटोकॉल की सबसे बड़ी विशेषता यह है, कि इसमें बहुत सारे डेटा पैकेट को एक साथ एक ही समय पर sender द्वारा भेजा जा सकता है और receiver इन सभी डेटा पैकेट को एक ही बार में जाँच के इन्हें प्राप्त करने की स्वीकृति दे सकता है।
इसका उपयोग OSI model के data link layer (डेटा लिंक लेयर) तथा Transmission Control Protocol (ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल) में पैकेटों के विश्वसनीय डिलीवरी के लिए किया जाता है।
Characteristics of Sliding Window Protocol in Hindi
- इसमें sender द्वारा जानकारियों को भेजने के लिए receiver द्वारा acknowledgment (अभिस्वीकृति) की आवश्यकता नहीं होती है, अर्थात रिसीवर की अनुमति की प्रतीक्षा किए बिना ही sender जानकारियों के पैकेट को नेटवर्क के उपयोग से भेज सकता है।
- यह बहुत ही उच्च गति से जानकारियों को हस्तांतरित करवाने में सक्षम है क्योंकि यह जानकारियों को भेजने से पहले रिसीवर के अनुमति की प्रतीक्षा नहीं करता है।
- स्लाइडिंग विंडो प्रोटोकॉल का उपयोग data link layer तथा Transmission Control Protocol में किया जाता है।
- स्लाइडिंग विंडो प्रोटोकोल जानकारियों के प्रवाह की गति (Flow Control) को भी नियंत्रित करने की क्षमता रखता है, कई बार ऐसा होता है कि sender द्वारा जानकारियों को भेजने की गति रिसीवर द्वारा जानकारियों को प्राप्त करने की गति से ज्यादा या कम होती है। इसलिए यह दोनों के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए जानकारियों के प्रवाह की गति को नियंत्रित करता है।
- यह जानकारियों के पैकेट को क्रमबद्ध तरीके से भेजने में मदद करता है, जिससे कि रिसीवर उन जानकारियों को प्राप्त करने के बाद उनका उपयोग ठीक से कर सकें।
- अगर जानकारियों का कोई पैकेट किसी कारण से रास्ते में ही खराब हो जाए और रिसीवर तक ना पहुंच पाए तो Sliding Window Protocol इस प्रकार के पैकेट को दोबारा हस्तांतरित करवाने में मदद करता है।
How Sliding Window Protocol Works in Hindi :- स्लाइडिंग विंडो प्रोटोकॉल के काम करने का सिद्धांत निम्नलिखित रुप से है:-
मान लीजिए कि आपका कंप्यूटर किसी Web Server के साथ हाई स्पीड बैंडविथ वाले केबल के माध्यम से जुड़ा हुआ है और आप उस वेब सर्वर से किसी जानकारी को प्राप्त करना चाहते हैं लेकिन इसके बावजूद भी आप अपने बैंडविथ की क्षमता का पूरा उपयोग करके जानकारियों को उच्च गति से प्राप्त नहीं कर पाएंगे अगर किसी भी जानकारी को प्राप्त करने से पहले Server आपके कंप्यूटर द्वारा स्वीकृति की प्रतीक्षा करने लगे।
मतलब कि इससे पहले कि सर्वर किसी जानकारी को आप तक भेजेगा वह पहले इस बात की प्रतीक्षा करेगा कि आपका कंप्यूटर उस जानकारी को प्राप्त करने के लिए तैयार है कि नहीं इस कारण बहुत अधिक समय का नुकसान होता है और संसाधनों की पूरी क्षमता का ठीक से उपयोग नहीं हो पाता है इसी प्रकार की परिस्थिति से निपटने के लिए Sliding Window Protocols की तकनीक का उपयोग नेटवर्किंग में जानकारियों को हस्तांतरित करने के लिए किया जाता है। क्योंकि यह प्रोटोकॉल किसी जानकारी को हस्तांतरित करने से पहले receiver के मशीन इसी जैसे कि कंप्यूटर, लैपटॉप, प्रिंटर आदि से स्वीकृति के लिए प्रतीक्षा नहीं करता है।
Types of Sliding Window Protocols in Hindi
Types of Sliding Window Protocols in Hindi :- ऐसा आवश्यक नहीं है कि sender द्वारा भेजे गए सभी देखा पैकेट्स receiver को ठीक से प्राप्त हो जाए। कई बार ऐसा होता है की कुछ data packet रास्ते में ही corrupt या खराब हो जाते है, और रिसीवर को ऐसा पैकेट प्राप्त होता है जिसे वह ठीक से समझ नहीं सकता या उसका कोई उपयोग नहीं कर सकता। इन परिस्थितियों को किस प्रकार से प्रबंधित किया जाता है, इसी के आधार पर स्लाइडिंग विंडो प्रोटोकोल को मुख्य रूप से निम्नलिखित दो प्रकार में बांटा गया हैं :-
- Go – Back – N (गो बैक N) :- इसे Go back N Automatic Repeat reQuest (ARQ) भी कहा जाता है। इसमें रिसीवर को जब यह पता चलता है कि उसको कोई corrupt या खराब डाटा पैकेट प्राप्त हुआ है, तो वह sender मशीन को एक negative acknowledgement भेजता है। नेगेटिव एक्नॉलेजमेंट के प्राप्त होते ही सेन्डर मशीन जहां से पैकेट खराब हुआ था। वहां से दोबारा क्रमानुसार पैकेट को भेजना शुरू कर देता है। मतलब कि मान लीजिए कि अगर कुल 10 अलग-अलग डाटा पैकेट को भेजा जाना था और अब तक कुल 7 डाटा पैकेट से पहले ही भेज चुका था। लेकिन तीसरे पैकेट रास्ते में ख़राब हो गया तब उसे रिसीवर द्वारा यह मैसेज प्राप्त हुआ कि 3rd पैकेट ख़राब हो चुका है। ऐसी परिस्थिति में सेन्डर 3rd पैकेट से शुरू करके क्रमानुसार फिर से बाकी बचे 8 पैकेटों को receiver तक भेजेगा।
- Selective Repeat (सेलेक्टिव रिपीट) :- इसे Selective Repeat ARQ (Automatic Repeat reQuest) भी कहा जाता है। इसमें जब कोई डाटा पैकेट खराब हो जाता है, तो सेन्डर केवल उस डाटा पैकेट को select करके receiver मशीन को दुबारा भेजता है। मतलब कि इसमें जब रिसीवर को जब यह पता चलता है कि उसको कोई corrupt या खराब डाटा पैकेट प्राप्त हुआ है, तो वह sender मशीन को एक negative acknowledgement भेजता है उसके बाद सेन्डर उसे केवल ख़राब पैकेट को दोबारा भेजा जाता है जो कि रास्ते में corrupt या खराब हो गया था। इसलिए इसमें बैंडविथ और समय की बचत होती है, क्योंकि जो पैकेट एक बार ठीक से पहुंच चुका है उसे बार-बार नहीं भेजना पड़ता है।
Summery of Sliding Window Protocol in Hindi:- इस लेख में हमने स्लाइडिंग विंडो प्रोटोकॉल को सरल हिंदी भाषा में समझने का प्रयास किया है। कंप्यूटर नेटवर्क स्लाइडिंग विंडो प्रोटोकॉल का उपयोग डेटा पैकेट्स वाले जानकारियों को हस्तांतरित करने के लिए किया जाता है। यह ओएसआई मॉडल के डेटा लिंक लेयर पर काम करता है इसके साथ ही यह विश्वसनिय डेटा हस्तांतरण प्रोटोकॉल के रूप में जाना जाता है। उम्मीद है कि Sliding Window Protocol in Hindi का यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आप स्लाइडिंग विंडो प्रोटोकॉल पर लिखे गए इस लेख से संबंधित कोई सुझाव हमें देना चाहते हैं या कोई प्रश्न पूछना चाहते है, तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताएं।
Leave a Reply